पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके केरल समकक्ष पिनारयी विजयन का पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होने का निर्णय हतोत्साहित करने वाला है. वह जिस स्थान पर हैं वह सार्वजनिक हित के संरक्षक का है वह किसी राजनीतिक प्राथमिकताओं वाले व्यक्तियों के रूप में वहां नहीं बैठे हैं. चुनाव प्रचार के दौरान जो बातें हुईं उससे केंद्र-राज्यों के रिश्तों में दरार नहीं होनी चाहिए.
मोदी 2.0 कूटनीति सिर्फ भव्यता नहीं होनी चाहिए. अवसरों को पिछली बार गवां दिया गया था
पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक नेताओं की उपस्थिति भारत के लिए उतनी ही कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होगी, जितनी पिछली बार सार्क नेताओं की उपस्थिति थी. लेकिन उस लाभ को नीतिगत भूलों और पड़ोसी देशों से संबंधों मे विसंगतियों की वजह से बर्बाद कर दिया गया था. अगर इस बार भी ऐसा होता है तो इस कूटनीतिक भव्यता का कोई फायदा नहीं.