कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा एक वकील को अदालत कक्ष से गिरफ्तार करने के आदेश और उसके बाद हुए विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप न्यायपालिका की छवि खराब हो रही है. बार और बेंच के बीच सामंजस्य न्यायिक कार्यप्रणाली की आधारशिला है, और यह घटना व्यवस्था के नैतिक अधिकार को कमजोर करती है.