टेलीविज़न पर दिखाए जा रहे झूठ के विपरीत, 1982 में लेबनान पर खूनी आक्रमण के बाद से इज़राइल की सेना ने कोई भी निर्णायक जीत हासिल नहीं की है. पारंपरिक युद्धों के विपरीत, विद्रोहियों और आतंकवादियों से लड़ने के लिए केवल सैनिकों की नहीं, बल्कि कुशल राजनेताओं की भी आवश्यकता होती है. राष्ट्र-राज्यों को कभी-कभी सख्त रुख अपनाने की जरूरत होती है लेकिन उन्हें उदारता के लिए भी तैयार रहना चाहिए.
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