दोहा में तालिबान नेता के साथ भारतीय दूत की बैठक विवेकपूर्ण और व्यावहारिक है. काबुल में नए शासन के साथ असहज होने के बावजूद, भारत सिर्फ एक मूकर्दशक नहीं बने रह सकता. इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक हित पोषित करने चाहिए. ‘वेट एंड वॉच’ मोड निष्क्रियता का बहाना नहीं बनना चाहिए.