इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि चिंता का कारण है क्योंकि यह दर्शाता है कि मंदी कितनी खराब है. इसे आर्थिक नीतियों द्वारा नहीं सुधारा जा सकता है. पीएसयू बैंकों के एकीकरण से भी अधिक मदद नहीं मिलेगी. भारतीय अर्थव्यवस्था को संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है.