यूक्रेन संकट के कारण अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया अपने लाइफटाइम के निचले स्तर 77.01 पर गिरने से भारत को चिंतित नहीं होना चाहिए. रुपये को अपने वास्तविक स्तरों को खोजने की जरूरत है और इस गिरावट से हमारे बाहरी अर्थनीति को संतुलित करने में मदद मिलनी चाहिए. बस इतना कि आरबीआई को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि यह सुचारू रूप से हो.