राजस्थान चुनाव अभियान समाप्त हो गया है, लेकिन भारतीय राजनीति को अलग करने वाले प्रमुख विचारों- धर्मनिरपेक्षता, जाति जनगणना- में से किसी को भी जगह नहीं मिली. सीएम अशोक गहलोत ने अपने 5 साल के कार्यकाल को कल्याणकारी उपहारों तक सीमित कर दिया, जिससे वोटों का लेन-देन हो. यही कारण है कि वह पीठ के बल (मुश्किल भरा) चुनाव लड़ रहे हैं.