अदालत को मामले के तथ्यों के आधार पर तय करना चाहिए कि पी चिदंबरम को बेल दी जाये या नहीं. अगर सरकार के पास किसी के खिलाफ सबूत है तो उसकी जांच होनी चाहिए. पर सही प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए. इस बात का किसी को फायदा नहीं होता, खासकर न्याय प्रक्रिया को, कि एजेंसियों और अदालतों के बीच बेकार में राजनीतिक तमाशा खड़ा किया जाये.