वोडाफोन से तरह ही केयर्न मामले में भी भारत को पूर्व प्रभाव से कर के नुकसान का सामना करना पड़ा है. जो फिर से यह दिखाता है कि भारत के पास कोई केस नहीं था. इन विवादों में बहुत ऊर्जा और प्रतिष्ठा बर्बाद हो चुकी है. मोदी सरकार को अपील नहीं करनी चाहिए. बल्कि भारत को स्थिति का अनुमान लगाने योग्य कर नीति वाले देश की छवि सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.