दिल्ली पुलिस पहले जेएनयू में हिंसा रोकने में और अब हमलावरों को पकड़ने में नाकाम रही है यह उसकी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाता है.आम लोगों में ऐसा मत बन रहा है कि पुलिस छात्र नेता को बचाने की बजाए उनके खिलाफ ही आरोप लगा रही है जो पुलिस के दोहरे-रवैये को दिखाता है और इससे इनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है.