क्या अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास/वाणिज्य दूतावासों को खुला रहना चाहिए, यह एक झूठी बहस है. भारत अपने राजनयिकों को उस शासन से मान्यता नहीं दिला सकता है, जिसे वह मान्यता नहीं देता है. बेशक तालिबान चाहेगा कि भारत बना रहे क्योंकि यह वास्तविक मान्यता होगी. कोई भी मूर्ख नहीं है और भारतीय मिशनों ने तालिबान के लक्षित हमलों में जान गंवाई है.
होम50 शब्दों में मतभारतीय दूतावासों के खुले रहने पर बहस फर्जी है, अफगानिस्तान में कई लोगों ने जान गंवाई है
