बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक खुद की पीठ थपथपाने में बदल गई. इसका राजनीतिक संकल्प इंडिया शाइनिंग की तरह पढ़ा गया जो देश के सामने आने वाली चुनौतियों से बेफ़िक्र था. विधानसभा और संसदीय उपचुनावों में असफल होने के बाद यह बीजेपी के लिए मौका था आत्मनिरीक्षण करने का लेकिन इसने आंखें बंध रखने का विकल्प चुना.