मोदी सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक का उपयोग कर विभाजन के भूतों को अनावश्यक रूप से वापस लाने के लिए उपयोग कर रही है. भारत ने 1947 से एक बड़ी दूरी तय की है. 2019 में इस पर वापस लौटना का विचार, विचारों के दिवालियापन को दिखाता है. इस बिल को संसदीय स्वीकृति मिल सकती है, लेकिन इस बात के लिए बीजेपी को वोट नहीं दिया गया.