तर्कहीन और कठोर दंड प्रावधानों को कम करने के लिए बिहार शराबबंदी कानून में संशोधन के लिए नीतीश कुमार सरकार का कदम काफी देरी से है. बार-बार अवैध शराब की त्रासदियों ने इस कानून की विफलता को उजागर किया, जबकि अदालतें जमानत के आवेदनों के साथ घुट रही थीं, इसकी मनमानी को रेखांकित किया. कुमार को अपने नुकासान में कम करने चाहिए और एक असफल कानून में राजनीतिक पूंजी निवेश बंद कर देना चाहिए.