पांच राज्यों में चुनाव चल रहे हैं. दुर्भाग्य से, इस अभियान ने कोई नया राजनीतिक विचार सामने नहीं लाया है. हमने आसान लोकलुभावनवाद, व्यक्तिगत हमलों और नाम-पुकारने का एक आश्चर्यजनक नाटक देखा है. राष्ट्रीय चुनाव बस कुछ ही महीने दूर हैं और हमारे राजनेता नई दिशा की ओर कदम की कमी का प्रदर्शन कर रहे हैं.