दिप्रिंट की पड़ताल दिखाती है कि तमिलनाडु में 904 करोड़ रुपए का पीएसयू वैक्सीन प्लांट निष्क्रिय पड़ा है और वहां सैनिटाइजर बन रहा है जो साबित करता है कि सार्वजनिक क्षेत्र कैसे एक ‘राष्ट्रीय महत्व की योजना’ को तबाह कर सकता है. इसे निजीकरण की सूची में तुरंत मोदी सरकार को शामिल करना चाहिए. महामारी से लड़ने के लिए हर प्लांट के योगदान की जरूरत है.