योगी आदित्यनाथ का ‘अब्बा जान’ वाला बयान निदंनीय है और एक राजनीतिक स्वीकारोक्ति है कि यूपी ने उनके नेतृत्व में प्रगति की है. चुनाव से पहले सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकरण करने की ये हुंकार भर है. इस तरह की सांप्रदायिकता एकदम बेहूदापन है खासकर तब जब 23 करोड़ की आबादी वाला राज्य कोविड से जूझ रहा है.