धार्मिक नेताओं और राजनेताओं की पुलिस सुरक्षा में कटौती के तीन महीने बाद पंजाब की आप सरकार को अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा. ये सच है कि पंजाब में आतंकवाद खत्म होने के बाद बंदूक से लैस पुलिसवाले वीआईपी लोगों के लिए जरूरी बन गए. लेकिन शुभदीप सिद्धू की हत्या दिखाती है कि कई लोगों को वास्तव में खतरा है. सुरक्षा निर्णयों के लिए पेशेवर आकलन जरूरी है न कि हेडलाइन की राजनीति.