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Friday, 29 March, 2024
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रोहतक-सोनीपत सीट: हुड्डा परिवार का किला ढहाने आ रहे हैं मोदी-योगी-शाह

स्थानीय लोगों के मुताबिक नरेंद्र मोदी और अमित शाह अच्छे से जानते हैं कि अगर हरियाणा से कांग्रेस को खत्म करना है तो हुड्डा को हराना पड़ेगा.

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सोनीपत: दिल्ली से लगती सोनीपत लोकसभा सीट पर सभी राजनीतिक पार्टियों की नज़रें गड़ी हुई हैं. इस सीट से हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनावी मैदान में हैं. यहां से दूसरे बड़े उम्मीदवार भाजपा के रमेश कौशिक हैं. तीसरे उम्मीदवार जेजेपी के दिग्विजय चौटाला हैं. इनेलो से यहां सुरेंद्र छिक्कारा और लसपा से राजबाला सैनी भी चुनाव में उतरी हैं.

हरियाणा की दूसरी लोकसभा सीटों के लोग भी ये जानने को उत्सुक हैं कि सोनीपत सै कौण (कौन) जीत रहया सै. यही जानने के लिए सोनीपत की जलती धूप में खेतों से तूड़े (गेंहू का भूसा) की पोटली बांध रहे ग्रामीणों के बीच दिप्रिंट पहुंचा.

सोनीपत सीट महत्वपूर्ण क्यों है

सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में तकरीबन 15,17,188 वोटर हैं. जिसमें करीब 8,23,944 पुरूष वोटर हैं तो 6,94,41 महिला वोटर. सबसे ज्यादा यहां करीब साढ़े पांच लाख जाट वोटर हैं. उसके बाद करीब डेढ़ लाख ब्राह्मण और फिर ओबीसी.

होशियापुर गांव के लोग इसके जवाब में कहते हैं, ‘एक तो कांग्रेस का इतना बड़ा नेता लड़ रहा है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर चल रही है. हुड्डा के गढ़ को तोड़ने के लिए रोहतक-सोनीपत सीट पर भाजपा ने भी जी जान लगा रखी है.’

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सोनीपत सीट | तस्वीर- ज्योति यादव

कांग्रेस को खत्म करना है तो हुड्डा को हराना पड़ेगा

स्थानीय पत्रकार नितिन बताते हैं, ‘नरेंद्र मोदी और अमित शाह अच्छे से जानते हैं कि अगर हरियाणा से कांग्रेस को खत्म करना है तो हुड्डा को हराना पड़ेगा. इसलिए दीपेंद्र हुड्डा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की दोनों ही सीटों पर तगड़े समीकरण बैठाए जा रहे हैं. सोनीपत में अमित शाह की रैली हो चुकी है. आने वाली 10 तारीख को नरेंद्र मोदी की रैली रोहतक और सोनीपत के बीच में कहीं होने वाली है. जींद में 7 तारीख को योगी आदित्यनाथ की भी रैली है.’

एक पक्ष यह ये भी है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा अगर जीतते हैं तो इसका प्रभाव विधानसभा चुनाव की 20 सीटों पर रहेगा. सोनीपत में 6 विधानसभा सीट हैं. पिछले 10 साल से सोनीपत की इन 6 विधानसभा सीटों पर हुड्डा गुट के 5 जाट विधायक हैं. 

दूसरा पक्ष ये भी है कि एक तरफ भाजपा के लोकल कार्यकर्ता रमेश कौशिक के लिए ठीक से काम नहीं कर रहे हैं तो दूसरी तरफ भूपेंद्र हुड्डा का कोई सीधा विरोध नहीं है. रमेश कौशिक गैर जाटों को लामबंद करने की कोशिश में हैं लेकिन राजबाला सैनी उनके वोट काटने में कामयाब हो सकती हैं. इनेलो के सुरेंद्र छिक्कारा और जेजेपी के दिग्विजय चौटाला, हुड्डा के जाट वोटों को काटकर उन्हें मुसीबत में डाल सकते हैं.


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जाट वोटर्स बनाम गैर जाट वोटर्स

एक तरह से यहां जाट नेताओं के बीच ज़बरदस्त त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है. वैसे कल ही गोहाना में हो रही एक रैली में जेजेपी के उम्मीदवार दिग्विजय चौटाला ने भावुक होते हुए कहा कि वो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए ये सीट छोड़ देंगे बशर्ते हुड्डा भी आगामी विधानसभा चुनाव में किलोई से चुनाव नहीं लड़ेंगे. हालांकि, दिग्विजय चौटाला ने नामांकन भरते वक्त भी कुछ ऐसा ही कहा था. 

कुराड़ गांव के बुजुर्ग | तस्वीर- ज्योति यादव

सोनीपत लोकसभा सीट पर अब तक 11 लोकसभा चुनावों में 9 बार जाट सांसद रहे हैं. दो बार ही गैर जाट इस सीट से चुनकर संसद पहुंच पाए हैं. 1996 में अरविंद शर्मा और 2014 में रमेश कौशिक. 2016 के जाट आंदोलन के बाद बिगड़े जातीय समीकरण की वजह से यहां उम्मीदवारों के साथ-साथ वोटर भी बंटे हुए दिख रहे हैं. गौरतलब है कि जाट आंदोलन के दौरान रोहतक, सोनीपत और झज्जर शहर ही मुख्य केंद्र रहे थे. सोनीपत के मुरथल में आंदोलन के दौरान कुख्यात मुरथल गैंग रेप केस ने इस आंदोलन पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए थे. हालांकि, इस केस को दो साल चलने के बावजूद कुछ ठोस सबूत नहीं मिला है. गैंग रेप की खबर लिखने वाले पत्रकार ने कोर्ट में एक हलफनामें में लिख दिया है कि उसने सुनी-सुनाई बातें सुनकर रिपोर्ट लिख खबर छाप दी थी. इस केस के लिए गठित की गई एसआईटी को भी इस केस में कुछ नहीं मिला था.


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धर्मसंकट में फंसे हसनपुर और कुराड़ गांव के लोग

हसनपुर और कुराड़ गांव मुरथल के पास बसे इन गांवों में दिप्रिंट ने कुख्यात मुरथल गैंग रेप केस को लेकर बात की. कुराड़ गांव की चौपाल मे बैठे कुछ बुजुर्गों का कहना है, ‘मामला झूठा था. जिस पत्रकार ने ये खबर लिखी थी वो झूठी थी. वो कोर्ट में खुद इस बात का हलफनामा जमा कर चुका है. मीडिया ने खामखा बदनाम करने के लिए ये मामला उछाला था.’

हसनपुर गांव| तस्वीर- ज्योति यादव

वोट देने की चर्चा छिड़ी तो लोगों ने कहा कि वो नरेंद्र मोदी को वोट देंगे. यहां मुरथल गैंग रेप का मामला या जाट आंदोलन पर  कोई खास चर्चा नहीं दिखी.

वहीं, हसनपुर गांव से इस मामले में नामजद एक लड़के के पिता ने अपनी पहचान ना बताने की शर्त पर बताया, ‘पिछले दो साल से हम कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं. हमारे लाखों रुपए बर्बाद हो चुके हैं. केस भी झूठा था लेकिन हमारी ज़िंदगियां तो बर्बाद हो गई. कुल 24 लड़कों का नाम आया था. जब मैं पुलिस थाने गया था तो मेरा नाम लिखने की बात भी करने लगे थे.’


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‘वोट किसको देंगे? इस दौरान आया कौन हमारे पास? ना तो हुड्डा और ना ही कौशिक. आपस में ही लड़ते रहे कि तूने किया-तूने किया. कौशिक ने तो पिछले पांच साल से शक्ल नहीं दिखाई है.’

24 लड़कों में से कुराड़ के रहने वाले एक युवक के पिता की इस मामले के कुछ दिन बाद हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. 

हसनपुर गांव के लोग | तस्वीर- ज्योति यादव

मुद्दे क्या हैं?

वैसे तो यह इलाका दिल्ली के सबसे नज़दीक है लेकिन यहां के ग्रामीण इलाके की समस्याएं किसी थर्ल्ड वर्ल्ड कंट्री की तरह है तो शहरी इलाके के किसी फर्स्ट वर्ल्ड कंट्री की तरह. कुछ ऐसा ही हाल बहादुरगढ़ का भी है. किसानों की फसलों के उचित दाम से लेकर युवकों के लिए रोजगार जैसी समस्याएं. गन्नौर में अंतर्राष्ट्रीय मंडी की आधारशिला दस साल पहले रखी गई थी लेकिन वहां काम अब तक शुरू नहीं किया गया है. इस मंड़ी के काम को पूरा करने की मांग पिछले कई सालों से उठ रही है.

हायर एजुकेशन का हब बन चुके सोनीपत शहर का मुद्दा मेट्रो से कनेक्टिविटी नहीं है. यहां से हज़ारों लोग अप डाउन कर रहे हैं. शहरी क्षेत्र में पानी की समस्या भी बढ़ रही है. कुछ लोग नेशनल हाइवे को चौड़ा करने की बात भी उठा रहे हैं.

कुल मिलाकर मुख्य मुकाबला भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रमेश कौशिक के बीच नजर आ रहा है. हुड्डा को अपना वर्चस्व बनाए रखना है तो रमेश कौशिक को अपनी सीट. कहा जा रहा है कि रोहतक-सोनीपत सीट से जीत कुछ महीनों में हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव का रुख तय करेगी.

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