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Friday, 1 November, 2024
होम2019 लोकसभा चुनावकौन है ये ओम प्रकाश राजभर, जिसे सुनना थी बीजेपी की मजबूरी

कौन है ये ओम प्रकाश राजभर, जिसे सुनना थी बीजेपी की मजबूरी

2017 के विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर की राजनीति की गाड़ी तब चल पड़ी जब उनके 4 प्रत्याशी 2017 में विधानसभा पहुंच गए.

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नई दिल्ली : ओमप्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री थे जिन्हें आज बर्खास्त कर दिया गया है. राजभर कभी बनारस में टेम्पो चलाते थे और फिर आगे चलकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री बने.  वर्ष 1981 था. उत्तरप्रदेश में जाति की राजनीति हावी थी. तब बनारस के फतेहपुर का एक युवा मान्यवर काशीराम के साथ सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई में जुड़ गया और आगे चल कर अपनी पार्टी बनायी जिसका नाम ‘सुहेलदेव समाज पार्टी’ रखा.

ओम प्रकाश राजभर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) से की. तब उनका विवाद बसपा सुप्रीमो मायावती से हुआ, वह ‘भदोही’ जिला के नाम बदल कर संतकबीर नगर किए जाने से नाराज थे. उन्होंने बसपा छोड़ी और अपनी पार्टी बनाई, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का पीला ध्वज और छड़ी चुनाव चिन्ह रखा और अकसर राजभर अपने झंडे के रंग के कुर्ता और स्कार्फ में नजर आते हैं.

राजभर जाति

राजभर जाति मछली पालन और खेतीबाड़ी से जुड़ी है. राजभर समुदाय उन 17 जतियों में हैं, जिनको अखिलेश सरकार ने ‘अनुसूचित जाति’ में सम्मिलित किए जाने का प्रस्ताव दिया था. जिसे वोट बैंक राजनीति मानते हुये अदालती रोक के बाद भारत सरकार ने होल्ड पर रख दिया है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में भर जाति का प्रतिनिधित्व करती है. उत्तर प्रदेश के राजभर समुदाय में सुभासपा का वर्चस्व है. प्रदेश में राजभर समुदाय के लोग गाजीपुर, बलिया, मऊ, आज़मगढ़, चंदौली, भदोही, वाराणसी और मिर्जापुर में हैं. इस बिरादरी की जनसंख्या करीब 12 लाख है.

राजनीतिक सफर

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के संस्थापक ओम प्रकाश राजभर ने 1995 में पत्नी राजमति राजभर को वाराणसी जिला पंचायत के सदस्य का चुनाव जिताया. 1996 में बसपा से कोलअसला (अब पिंडरा) से प्रत्याशी थे. लेकिन चुनाव हार गए थे. बसपा छोड़ने के बाद सोनेलाल पटेल की पार्टी अपना दल युवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष बने थे. उसके बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा के चुनावों में वो लगातार सक्रिय रहे. लेकिन उनको बहुत बड़ी कामयाबी नहीं मिली. उन्होंने अपनी पार्टी के बैनर के तले 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने 13 उम्मीदवार भी मैदान में उतारे थे.

2014 की मोदी लहर में लोकसभा चुनाव में सुभासपा के 13 उम्मीदवारों को महज 118,947 वोट मिले. सभी उम्मीदवारों की जमानत ज़ब्त हो गई थी. ओम प्रकाश राजभर ने खुद सलेमपुर लोकसभा सीट से 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा. लेकिन उनको महज 66,084 वोट मिले थे. ओम प्रकाश राजभर की राजनीति की गाड़ी तब चल पड़ी जब उनके 4 प्रत्याशी 2017 में विधानसभा पहुंच गए. ओम प्रकाश राजभर योगी आदित्यनाथ की सरकार में मंत्री बना दिए गए.


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योगी सरकार से समय-समय पर उनकी नाराज़गी देखने को मिली थी. ओम प्रकाश राजभर भाजपा को कई बार परेशानी में डाल चुके थे. उन्होंने अपनी पार्टी से लोक सभा में प्रत्याशी भी उतार दिया था. भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में ओपी राजभर को मना नहीं पायी उन्होंने अपनी पार्टी के 39 प्रत्याशियों को टिकट दिया था.

हाल ही, उत्तर में उन्हें पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री पद से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है. ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के अन्य सदस्य जो विभिन्न निगमों और परिषदों में अध्यक्ष व सदस्य हैं, उन सबको भी तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है.

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