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Sunday, 3 November, 2024
होम2019 लोकसभा चुनावभाजपा की हिंदूवादी राजनीति को धार देगा संघ, चुनाव की तैयारी पर हुआ मंथन

भाजपा की हिंदूवादी राजनीति को धार देगा संघ, चुनाव की तैयारी पर हुआ मंथन

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व संगठन महामंत्री रामलाल की संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ बंद कमरे में हुई मैराथन चर्चाओं ने आगामी लोकसभा चुनाव पर चर्चा हुई.

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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश के ग्वालियर में संपन्न हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रतिनिधि की बैठक में एक ओर जहां सामाजिक प्रस्तावों को पारित किया गया. वहीं बैठक के दूसरे दिन, शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व संगठन महामंत्री रामलाल की संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ बंद कमरे में हुई मैराथन चर्चाओं ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर संघ की भूमिका को स्पष्ट कर दिया है.

दिन में शुरू हुई बैठक देर रात तक जारी रही. इस महत्वपूर्ण बैठक में  2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की चर्चा तो हुई ही साथ ही उत्तर प्रदेश जैसे बड़े सूबे में पार्टी अपने पिछले प्रदर्शन को कैसे बरकरार रखें इस पर भी मंथन हुआ.

भाजपा के लिए प्रमुख राम मंदिर मुद्दे को भी संघ ने सरकारी पक्ष के तौर पर स्वीकृति देते हुए उसे मान्यता दी. सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी का कहना कि राम मंदिर मुद्दे पर हम केंद्र सरकार के प्रयासों का समर्थन करते है काफी हद तक भारतीय जनता पार्टी को संजीवनी दे गया.

दरअसल, जनवरी में आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद् के नेतृत्व में अयोध्या में हुई धर्मसंसद ने पार्टी की पेशानी पर बल डाल दिए थे. ऐसा लगने लगा था कि हिंदूवादी संगठन राम मंदिर मुद्दे पर भाजपा को घेरकर  2019 लोकसभा चुनाव में उसके लिए परेशानी का सबब बनेंगे. इसके अलावा केरल के सबरीमाला मंदिर मुद्दे पर भी संघ का दृष्टिकोण हिंदूवादी भाजपा के लिए मुफीद बनेगा.

बैठक के दौरान देश में लोकसभा चुनाव 2019 में शत-प्रतिशत मतदान करवाने के लिए स्वयंसेवकों को मूलमंत्र भी दिया गया, जिसका सीधा सा अभिप्राय भाजपा के पक्ष में मतदान करवाने का है.

परिवारों की एकजुटता देश के लिए ज़रूरी

संघ भारत में बढ़ते एकल परिवारों के चलन से नाखुश है. सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने परिवारों की महत्ता बताते हुए उनके एकीकरण पर ज़ोर देते हुए कहा कि परिवार नामक संस्था को बचाना ही होगा और यही देश के हित में भी है. टूटते परिवार कभी लोकतंत्र को मज़बूती नहीं दे सकते.

इतिहास को फिर से लिखने की ज़रूरत

बैठक में इस बात पर भी मंथन हुआ कि हमारे देश में इतिहास को कुछेक परिवारों के ईदगिर्द लिखा गया है और उन्हीं का महिमामंडन भी हुआ है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी आज़ाद हिंद सेना के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को जानबूझकर भुला दिया गया है. संघ यहीं सुनिश्चित करेगा कि इतिहास के भूले बिसरे नायकों को भी उनका सहीं हक और मान सम्मान मिले.

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