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Thursday, 21 November, 2024
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राजनाथ सिंह के गोद लिए गांव का हाल, काम तो हुआ लेकिन ‘आदर्श’ नहीं बन सका

गांव में घुसते ही हरिजनों की बस्ती पड़ती है. उनमें से अधिकतर की शिकायत है कि जहां सवर्ण रहते हैं वहां सड़क की स्थिति बेहतर है पर उनके यहां खराब.

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लखनऊ: 6 अप्रैल को होने वाले पांचवें चरण के चुनाव में लखनऊ लोकसभा सीट पर भी वोटिंग होनी है. ऐसे में सभी कैंडिडेट्स ने तैयारी तेज़ कर दी है. राजनाथ सिंह यहां से मौजूदा सांसद हैं. वह विकास कार्यों के आधार पर वोट मांग रहे हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत लखनऊ के बेंती गांव को गोद लिया था. ऐसे में हमने वहां जाकर ज़मीनी हकीकत देखने की कोशिश की.

लखनऊ में बेंती गांव शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर बसा है. यहां तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क है. लगभग 5 हज़ार की आबादी वाले इस गांव को 2014 में राजनाथ ने गोद लिया था. ये जानकारी पहुंचते ही लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी. लोग बताते हैं कि उस दौरान गांव के चौराहों पर मॉडल गांव के स्वरूप को खूब समझा और समझाया गया. लेकिन अब इस बात को 4.5 साल बीत चुके हैं. लोग कह रहे हैं कि यहां काम तो हुआ लेकिन ‘आदर्श गांव’ जैसा यहां कुछ नहीं.


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गांव में घुसते ही मिलीं शिकायतें

गांव में घुसते ही हरिजनों की बस्ती पड़ती है. उनमें से अधिकतर की शिकायत है कि जहां सवर्ण रहते हैं वहां सड़क की स्थिति बेहतर है. पर उनके यहां की खराब है. यहां के निवासी मनोज कुमार बताते हैं कि जातिवाद बाकि के गांव की तरह यहां भी है. इसका असर विकास कार्यों पर भी पड़ा है. ब्राहम्णों के घरों की तरफ चले जाइए और वहां के विकास कार्यों और यहां में अंतर पता चल जाएगा. यहां की रमावती कहती हैं कि काम हुआ है लेकिन गांव में दूसरी ओर ज़्यादा हुआ. हमारी ओर कम हुआ है.

अनुभव कहते हैं कि ‘प्रधान के घर से लेकर गांव के बाहर तक तो सड़कें सही हो गई हैं, लेकिन दूसरी गलियां अभी भी बदहाल हैं.’ राजनाथ सिंह ने जब गांव को गोद लिया तो लोगों को लगा कि देश के गृहमंत्री ने गांव को गोद लिया है तो अब विकास कार्य बहुत जल्दी होगा. इस गांव में बैंक भी है जिसका श्रेय यहां के निवासी राजनाथ सिंह को देते हैं.

गंदगी एक बड़ी समस्या

गांव के बुजुर्ग रामेश्वर तिवारी कहते हैं कि ‘राजनाथ ने काम ठीक किया लेकिन यहां के प्रधान व विकास कार्य देखने वाले ध्यान नहीं दे रहे हैं. यहां गंदगी एक बड़ी समस्या है. सफाई कर्मचारी महीने-महीने भर नहीं आते. गंदगी से बीमारियां फैलने का डर रहता है.’

‘पड़ोस के गांव में देखिए, लोहिया गांव में गली-गली में आरसीसी पड़ गई हैऔर हमारे यहां आप नालियों को देखिए, दरवाज़े पर बह रही हैं.’

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राजनाथ सिंह के गोद लिए गांव में ओरिएंटल बैंक की ब्रांच | प्रशांत श्रीवास्तव

शिक्षा पर भी होना चाहिए था फोकस

यहां के फर्स्ट टाइम वोटर अजीत तिवारी बताते हैं कि ’10-15 किमी. तक कोई इंटर काॅलेज नहीं है. शिक्षा पर इतना फोकस नहीं किया. छात्रों को 10वीं के बाद गांव से काफी दूर जाना पड़ता है.’ बेंती गांव की लड़कियों का कहना है कि वे पढ़ना चाहती हैं, लेकिन यहां से 10 किमी तक कोई भी इंटर या डिग्री कॉलेज नहीं है. ऐसे में कालेज दूर होने के कारण घर वाले उन्हें पढ़ने के लिए नहीं भेजते हैं. उन्हें उम्मीद थी कि राजनाथ सिंह द्वारा गांव को गोद लेने पर यहां की सूरत बदल जाएगी.

सोनम बताती हैं कि ‘घोषणाएं तो बहुत हुई थीं. एक नलकूप आया है, तीन की बात हुई थी. बाकि का पता नहीं. लड़कियों के लिए डिग्री कालेज का प्रस्ताव दिया गया था. सामुदायिक केंद्र, जानवरों का अस्पताल का प्रस्ताव भी दिया गया था लेकिन अभी तक कुछ बना नहीं है.’

राकेश कुमार कहते हैं कि ‘राजनाथ सिंह ने इस गांव का दौरा कई बार किया लेकिन इससे हालात में कुछ खास बदलाव नहीं आया. ऐसा नहीं है कि उन्होंने कोशिशें नहीं की लेकिन बीच के लोग पैसा खा जाते हैं’


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क्या है वोटर्स का मूड?

इस गांव में लोगों को काफी शिकायते हैं लेकिन मोदी फैक्टर यहां ज़िंदा है. गांव के बुजुर्ग रामेश्वर तिवारी कहते हैं कि लोकसभा चुनाव देश का चुनाव है. योगी सरकार से गांव के लोग नाराज़ हैं, अवारा पशुओं से परेशान हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में मोदी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए वोट करेंगे. उनके साथ चौपाल पर बैठे अन्य ग्रामीण भी उनकी बात से सहमत दिखते हैं.

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