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Saturday, 21 December, 2024
होम2019 लोकसभा चुनाव‘ए लावा रे तो वीडियो': राज ठाकरे की वो लाइन, जो भाजपा के रोंगटे खड़ी कर रही है

‘ए लावा रे तो वीडियो’: राज ठाकरे की वो लाइन, जो भाजपा के रोंगटे खड़ी कर रही है

अपने भाषणों में वो न सिर्फ मोदी सरकार के चुनावी वादों की पोल खोल रहे हैं, बल्कि नरेंद्र मोदी के झूठ भी गिनवा रहे हैं.

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नई दिल्लीः लावा रे तो वीडियोमराठी की इस लाइन का मतलब हैलगाओ रे वीडियो. ये लाइन पिछले दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इसमें बोलने वाले हैं मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) के संस्थापक राज ठाकरे.

राज ठाकरे 2019 लोकसभा चुनाव तो नहीं लड़ रहे हैं. लेकिन वो लगातार रैलियां कर रहे हैं. इनमें वो पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर आक्रामक तरीके से हमला बोल रहे हैं. ये रैलियां परंपरागत रैलियों की तरह नहीं है. बाकायदा इनमें पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन का इस्तेमाल किया जा रहा है. अभी गूगल ने टिक-टॉक को भी बैन किया है. इस पर ट्विटर पर लोगों ने लिखा है कि असली टिक-टॉक तो महाराष्ट्र में चल रहा है.

काफी नए तरीके से राज ठाकरे भाजपा और नरेंद्र मोदी पर अटैक कर रहे हैं

प्रेजेंटेशन में नरेंद्र मोदी के 2014 से पहले के भाषणों और न्यूज पेपर्स की कटिंग का इस्तेमाल किया जा रहा हैकमाल की बात ये है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस औरनसीपी के उम्मीदवारों में बहसबाजी भी चल रही है कि किसकी रैली में राज ठाकरे को बुलाया जाए. पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए भीड़भाड़ वाली जगहों पर एलईडी लगाने की प्लानिंग भी चल रही है. कांग्रेस के एक कैंडिडेट तो राज ठाकरे के वीडियो ग्रामीण इलाके में चलाने के लिए वीडियो वैन हायर करने की सोच रहे हैं. ये कैंपेन करने का नया तरीका है जो संभवत: पहली बार है जब कोई नेता प्रेजेंटेशन दिखाकर रैली कर रहा हो. गुड़ी पडावा के अवसर पर हुई रैली के बाद राज ठाकरे के भाषणों की डिमांड बढ़ गई है.

राज ठाकरे के भाषणों को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए इसे इंग्लिश सबटाइटल्स के साथ यूट्यूब पर अपलोड किया जा रहा है. इन भाषणों और पावर पॉइं प्रेजेंटेशन की वजह भाजपा को इलेक्शन कमीशन के पास शिकायत करने जाना पड़ गयाहालांकि जांच में पाया गया कि राज ठाकरे ने किसी पार्टी के पक्ष में कैंपेन नहीं किया है. वहीं, ज्यादातर पार्टियां भाजपा के खिलाफ शिकायत दर्ज करा रही हैं.

राज ठाकरे का कहना है कि वो नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बिना चुनाव लड़े ही चुनौती देंगे. अगर इससे बाकी पार्टियों का फायदा होता है, तो हो. ही वो कांग्रेस में मिल रहे हैं और ही एनसीपी में. उन्होंने कहा, ‘मोदी कहते हैं कि 8.5 लाख टॉयलेट्स एक हफ्ते में बनाये गये. मतलब कि 5 सेकेंड में 7 टॉयलेट? इतनी देर में तो होता भी नहीं है.’


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हर एक भाषण में मोदी सरकार की योजनाओं की पोल खोली जा रही है. कुछ लोग सोशल मीडिया पर ये लिख रहे हैं कि ये भाषण ऐसे ही चलते रहे तो महाराष्ट्र में भाजपा के 20 प्रतिशत वोट कट जाएंगे. हालांकि इस बात का कोई आधार नहीं है. क्योंकि उनकी खुद की पार्टी के अस्तित्व को बचाने के लिए रणनीतियां बनाई जा रही हैं. वहीं, ठाकरे के समर्थक हर उस व्यक्ति को सोशल मीडिया पर घेर रहे हैं जो भी ठाकरे की आलोचना कर रहा है. एक खबर के मुताबिक तो मुंबई में राज ठाकरे को एंटी नेशनल बोलने के लिए मनसे के कार्यकर्ताओं ने एक व्यक्ति की पिटाई की. सभी पार्टियां सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर वोट पोलराइज करने में जुटी हैं. मनसे भी इसमें पीछे नहीं रह गई है. 

6 अप्रैल को मुंबई के शिवाजी पार्क में राज ठाकरे का भाषण सोशल मीडिया पर सेंसेशन बन गया है. महाराष्ट्र का क्षेत्रीय मीडिया लिख रहा है कि कांग्रेस और एनसीपी के उम्मीदवार राज ठाकरे को अपने चुनावी क्षेत्र में लेकर जाना चाहते हैं और चुनावी रैलियों को संबोधित कराना चाहते हैं.

अपने भाषण में राज ठाकरे ने सीधा हमला करते हुए कहा, ‘मैंने चार साल पहले ही चेतावनी दी थी कि मोदी युद्ध जैसी स्थिति पैदा करके चुनाव जीतने की कोशिश करेंगे. नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी खतरनाक है. पुलवामा तक आरडीएक्स पहुंचा कैसे? बालाकोट पर एयर स्ट्राइक क्या जरूरी थी?’

19 मार्च को बांद्रा के रंगशारदा हॉल में पार्टी वर्कर्स को संबोधित करते हुए कहा, ‘अब मेरा एकमात्र लक्ष्य है भाजपा की हार सुनिश्चित करना.’

2014 में मोदी की तारीफें की थी, इस बार बुरी तरह घेर रहे हैं

राज ठाकरे के इस आक्रामक रवैये को इस तरह भी देखा जा रहा है कि अपनी पार्टी पुनर्जीवित करने के लिए वह भाजपा को घेर रहे हैं. वरना 2014 में वो नरेंद्र मोदी की तारीफें कर रहे थे और राहुल गांधी का मजाक बना रहे थे लेकिन अब बाजी पलट चुकी है. अब वो राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनाने की वकालत भी करते दिख रहे हैं और नरेंद्र मोदी की हिटलर से तुलना.

अपने भाषणों में वो सिर्फ मोदी सरकार के चुनावी वादों की पोल खोल रहे हैं बल्कि नरेंद्र मोदी के झूठ भी गिना रहे हैं. इसी क्रम में उन्होंने एक रैली में कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने प्रथम सेवक शब्द दिया था. नरेंद्र मोदी ने इसे बदलकर प्रधान सेवक में बदल दिया है. उन्होंने ये भी बताया कि नई दिल्ली के नेहरू मेमोरियल म्यूजियम में पंडित नेहरू की कही ये बात लिखी है कि इस देश की जनता हमें प्रधानमंत्री कहे, प्रथम सेवक कहे.


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अभी दोचार दिन पहले भी महाराष्ट्र के सोलापुर में आयोजित एक रैली में राज ठाकरे ने लोगों से कहा कि झूठ बोलने वाले नरेंद्र मोदी और अमित शाह को राजनीति से उखाड़ फेंकें.

मनसे चीफ ने नरेंद्र मोदी को सेना के नाम पर वोट मांगने को लेकर भी घेरा है. उन्होंने पुलवामा हमले में उनका हाथ होने की शंका तक जाहिर कर कह दिया था कि चुनाव के दौरान भी एक और पुलावामा जैसा हमला हो सकता है. जनता को बारबार याद दिलाने के लिए वो वीडियो भी चला रहे हैं जिसमें नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि एक व्यापारी जवान से ज्यादा रिस्क लेने वाला होता है.

सब कुछ निःस्वार्थ नहीं, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के वजूद का भी सवाल है

2005-2006 में राज ठाकरे के अपने चाचा बाल ठाकरे से मतभेद हो गए. इसके चलते वो शिवसेना से अलग हो गए. इसी साल उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया. पार्टी ने 2009 में हुए विधानसभा चुनावों में 288 में से 13 सीटों पर जीत भी हासिल की. हालांकि मनसे ने कभी कोई लोकसभा सीट नहीं जीती है लेकिन नरेंद्र मोदी के आने से इनका आधार भी गड़बड़ा गया है. मोदी की आंधी ने ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियों का प्रभाव कम कर दिया है. मनसे का भी प्रभाव धीरेधीरे कम हो गया है. स्थिति यहां तक पहुंच गई कि 2014 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में मनसे के हाथ मात्र एक सीट ही आईवैसा ही कुछ म्यूनिसिपल चुनाव में हुआ. इसमें भी पार्टी का प्रदर्शन बिलकुल खराब रहा.


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तो ठाकरे के ये भाषण और रैली निःस्वार्थ नहीं हैं. मनसे के एक नेता ने मीडिया को बताया था कि हम इस तरह कैंपेन में मदद करेंगे तो विधानसभा चुनाव में ये लोग भी हमारे लिए सीट छोड़ देंगे. एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने बीजेपी को चैलेंज किया कि राज ठाकरे के घर पर रेड मारकर दिखाएं. गौरतलब है कि राज ठाकरे की रैलियों के खिलाफ भाजपा इलेक्शन कमीशन के पास गई थी लेकिन कमीशन ने इन रैलियों में कुछ गलत नहीं पाया. भाजपा ने गुजारिश की थी कि इन रैलियों के खर्चे को कांग्रेस कैंडिडेट के खर्चों में जोड़ दिया जाए, लेकिन इलेक्शन कमीशन ने इससे भी मना कर दिया, क्योंकि ये रैलियां किसी के लिए वोट नहीं मांग रही हैं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक ठाकरे इस क्रम में कांग्रेस और एनसीपी के लिए छह मेगा रैलियां करेंगे. लेकिन इन रैलियों में वो इन दोनों ही पार्टियों के नेताओं के साथ स्टेज शेयर नहीं करेंगे. खबरें हैं कि ये रैलियां क्रमश: सोलापुर, बारामति, नासिक, मवाल, नांदेड़, मुंबई साउथ, मुंबई नॉर्थ और मुंबई नॉर्थ सेंट्रल में होंगी. इन सारी लोकसभा सीटों से एनसीपी और कांग्रेस के उम्मीदवार मैदान में हैं.

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