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Friday, 20 December, 2024
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जानें कौन हैं चंद्रशेखर जिसके जरिए पश्चिम यूपी में कांग्रेस दलित-मुस्लिम को लुभा सकती है

कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि नगीना या किसी रिजर्व सीट से कांग्रेस चंद्रशेखर को टिकट ऑफर कर सकती है. हालांकि चंद्रशेखर पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से लड़ना चाहते हैं.

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लखनऊ/सहारनपुर: मेरठ के एक निजी अस्पताल में भर्ती भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर से मिलने बुधवार को प्रियंका गांधी पहुंचीं. इस मुलाकात ने सियासी गलियारों में तमाम चर्चाओं को जन्म दे दिया है. मुलाकात के दौरान प्रियंका के साथ कांग्रेस पश्चिम यूपी इंचार्ज ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर, विधानमंडल के नेता अजय कुमार लल्लू मौजूद रहे.

मुलाकात के बाद प्रियंका गांधी ने कहा कि इसे चुनावी राजनीति से जोड़कर मत देखिए. इसे ऐसे देखना चाहिए कि चंद्रशेखर युवा हैं, संघर्ष कर रहे हैं. यह सरकार उस नौजवान को कुचलना चाहती है. रोजगार दिया नहीं है और जब आवाज उठा रहे हैं तो उठाने दीजिए, कुचलने की क्या जरूरत है?

सूत्रों के मुताबिक इमरान मसूद की राय पर प्रियंका चंद्रशेखर से मिलने पहुंचीं. भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर और कांग्रेस नेता इमरान मसूद के अच्छे संबंध हैं. चंद्रशेखर को दलित-मुस्लिम यूनिटी के पक्षधर माना जाता रहा है. पश्चिमी यूपी में भीम आर्मी को काफी मजबूत माना जाता है. दलित-मुस्लिम और जाट वोट इस बेल्ट में अहम है. यूपी में लगभग 21% दलित और 20% मुस्लिम हैं.

ऐसे में कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि नगीना या किसी रिजर्व सीट से कांग्रेस चंद्रशेखर को टिकट ऑफर कर सकती है. हालांकि चंद्रशेखर पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से लड़ना चाहते हैं. बता दें कि बीते मंगलवार बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस के साथ किसी भी राज्य में गठबंधन करने से इंकार कर दिया था. मायावती से कांग्रेस को झटका मिलने के बाद चंद्रशेखर से प्रियंका की यह सियासी मुलाकात दलित वोट साधने में कितना कारगर साबित होगी यह भविष्य में पता चलेगा.

कौन हैं चंद्रशेखर आजाद?

दरअसल साल 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलितों और सवर्णों के बीच झड़प हुई थी. इस दौरान एक संगठन उभरकर सामने आया, जिसका नाम भीम आर्मी था. पूरा नाम ‘भारत एकता मिशन भीम आर्मी’ है और इसका गठन करीब 6 साल पहले किया गया था. इस संगठन के संस्थापक और अध्यक्ष हैं चंद्रशेखर, जिन्होंने अपना उपनाम ‘रावण’ रखा हुआ था जिसे उन्होंने बाद में अपने नाम से हटा दिया.

चंद्रशेखर का जन्म सहारनपुर में छुटमलपुर के पास धडकूलि गांव में हुआ था. उन्होंने लाॅ की पढ़ाई की. वह पहली बार 2015 में सुर्खियों में आए. उन्होंने अपने मूल स्थान पर एक बोर्ड लगाया था, जिसमें ‘धडकूलि वेलकम यू द ग्रेट चमार्स’ लिखा था. इस कदम ने गांव में दलितों और ठाकुर के बीच तनाव पैदा कर दिया था.

चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया के जरिए काफी सुर्खियां बटोरी हैं. चंद्रशेखर ने फेसबुक और व्हाट्सअप के जरिए लोगों को भीम आर्मी से जोड़ने का काम किया. अब पश्चिम यूपी में भीम आर्मी का काफी प्रभाव है. वह दलित-मुस्लिम यूनिटी के पक्षधर हैं और कांग्रेस इस फैक्टर को ध्यान में रखकर चल रही है.

अभी अस्पताल में हैं चंद्रशेखर 

बहुजन अधिकार सुरक्षा यात्रा निकाल रहे भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर को पुलिस ने मंगलवार दोपहर गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस का कहना था कि वह आचार सहिंता लागू होने के बावजूद रैली निकालने का प्रयास कर रहे थे. तबीयत खराब होने के बाद उन्हें रिहा किया गया.

बता दें कि देवबंद में भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावण सहित 28 नामजद, 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. देवबंद थाने में पुलिस ने चंद्रशेखर रावण पर बिना अनुमति के रैली निकलाने के आरोप में मामला दर्ज किया है.

जानकारी के अनुसार भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर और समर्थकों द्वारा सोमवार को सहारनपुर में हुंकार रैली निकाली गई. प्रशासन के मुताबिक इस रैली के लिए प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी. इसके बावजूद ये रैली निकाली गई. मंगलवार को ये रैली देवबंद से आगे बढ़नी थी इसी दौरान पुलिस ने कार्रवाई करते हुए भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर लिया.

तबीयत खराब होने की वजह से उन्हें रिहा कर दिया गया. इसके बाद उन्हें मेरठ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका इलाज चल रहा है.एसपी सिटी विनीत भटनागर के अनुसार भीम आर्मी प्रतिनिधियों को रैली निकालने की अनुमति नहीं दी गई थी.

वहीं चंद्रशेखर के साथी डाॅ. कुश ने बताया, ‘भीम सेना कोई पाॅलिटिकल पार्टी नहीं है. हम बाइक से दिल्ली जा रहे थे. पुलिस ने जबर्दस्ती चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर लिया. हम साहब कांशीराम का जन्मदिन मनाने दिल्ली जा रहे थे.’

रैली मंगलवार को देवबंद से शुरू होकर मुजफ्फरनगर पहुंचनी थी लेकिन पुलिस ने रैली को बीच में ही रुकवा दिया है. मुजफ्फरनगर से 13 मार्च को चलकर मेरठ पहुंचनी है.14 मार्च को गाजियाबाद और 15 मार्च को दिल्ली जंतर-मंतर पर पहुंचने की योजना थी.

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