भुवनेश्वर: नवीन पटनायक ओडिशा विधानसभा में भारी जीत के साथ लगातार पांचवीं बार सत्ता संभालने जा रहे हैं और जनता के पसंदीदा नेता बने हुए हैं. वह 29 मई को शपथ लेंगे. 147 सदस्यों वाली सदन में पटनायक की बीजू जनता दल ने 112 सीटें जीती है. बता दें कि ओडिशा में भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी है और उसने यहां भी कांग्रेस पार्टी को पछाड़ दिया है.
भाजपा ने इस चुनाव में 23 सीटें जीती हैं जबकि कांग्रेस को महज 9 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेडी ने 117, बीजेपी ने 10 और कांग्रेस को 16 सीट मिली थी. बता दें कि बीजेडी ने एसेंबली चुनाव में 44.7 फीसदी वोट शेयर मिले हैं जबकि बीजेपी को 32.5 और कांग्रेस 16.12 फीसदी वोट शेयर हासिल किया है.
कई तूफानों का सामना किया, बने रहे निर्विवाद नेता
ओडिशा के पहले से ही सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बन चुके पटनायक ने अपने राजनीतिक करियर में कई तूफानों का सामना किया, मगर उड़िया बोल पाने में भी असहज पटनायक निर्विवादित रूप से नेता बने रहे.
पटनायक (72) ने 2000 में कार्यभार संभाला था, जब अक्टूबर 1999 में आए प्रलयकारी चक्रवात से तटीय प्रदेश में मची तबाही के छह महीने भी नहीं हुए थे. चक्रवात में लगभग 10,000 लोगों की मौत हो गई थी.
पहले नौसीखिए नेता रहे पटनायक अब एक संपूर्ण और चतुर राजनेता बन चुके हैं, जो अपने मजबूत हाथों से असंतोष को कुचलने में बिल्कुल नहीं हिचकिचाएंगे. सौम्यता के साथ-साथ शातिर पटनायक ने उनके लिए संभावित चुनौती बनने वाले बिजॉय महापात्रा, प्यारी मोहन मोहपात्रा, दिलीप रॉय और नलिनीकांत मोहंती को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले सरकार और पार्टी के खिलाफ मुखर हुए बैजयंत पंडा और दामोदर राउत का उन्होंने पार्टी में कद छोटा कर दिया. उनके कार्यकाल में कई तूफान आए, जिनमें उनके सलाहकार प्यारी मोहन मोहपात्रा द्वारा 2012 में कथित तख्तापलट की कोशिश भी शामिल है.
टीआईएनए (इनका कोई विकल्प नहीं) फैक्टर ने भी उन्हें विधानसभा चुनाव में जीतने में मदद किया है. उन्होंने हर चुनाव से पहले अन्य पार्टियों के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया है, जिससे चुनावी क्षेत्र में कूदने से पहले ही विपक्षी दलों का विश्वास कमजोर हो जाता रहा है.
कई विवादों, करोड़ों रुपये के चिटफंड घोटाले और खनन घोटालों के बावजूद चुनाव जीतने की कला में निपुण पटनायक ने विरोधी लहर को भी खत्म कर दिया है. जब किसी घोटाले या विवाद से उनकी छवि और प्रदेश सरकार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई, पटनायक ने संबंधित विभाग के मंत्री को बर्खास्त कर स्वच्छ और ईमानदार प्रशासक और नेता की छवि और गहरी की है.
अपने 19 साल के शासन में उन्होंने विभिन्न कारणों से लगभग 50 नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है. जनहितकारी नीतियों के साथ उनकी इस छवि ने उन्हें लगभग दो दशकों से सत्ता में वापसी कराने में मदद की है. उन्होंने कई लोकप्रिय योजनाएं चलाईं, जिनके कारण उन्हें समाज के हर वर्ग का वोट मिला.
उनकी लोकलुभावन योजनाएं जैसे -एक रुपये में एक किलोग्राम चावल, पांच रुपये में भोजन की योजना और कुशाग्र असिस्टेंस फॉर लिवलीहुड एंड इनकम ऑग्मेंटेशन (कालिया) योजना से उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई. मुख्यमंत्री द्वारा महिलाओं के लिए मिशन शक्ति कार्यक्रम के तहत कई योजनाएं चलाने के कारण बीजू जनता दल (बीजद) को महिलाओं का वोट लगातार मिला है.
बीजद के नेता कहते हैं कि पटनायक ने ‘पालने से कब्र तक’ सभी के लिए योजनाएं लागू की हैं.
(आईएएनएस इनपुट्स के साथ)
