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Tuesday, 16 April, 2024
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मध्य प्रदेश में 98 फीसदी मतदाता नहीं चाहते आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को

यह खुलासा एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और आरए एस्टरिस्क कम्प्यूटिग एंड डेटा सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (आरएएसी) के सर्वे में हुआ है.

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भोपाल: मध्य प्रदेश के 98 फीसदी मतदाताओं को आपराधिक प्रवृत्ति वाले उम्मीदवार मंजूर नहीं हैं. यह खुलासा एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और आरए एस्टरिस्क कम्प्यूटिग एंड डेटा सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (आरएएसी) के सर्वेक्षण से हुआ है.

सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य के 98 प्रतिशत मतदाताओं की राय है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवार नहीं होने चाहिए. 30 प्रतिशत मतदाता अधिक खर्च करने वाले के पक्ष में मतदान करते हैं, वहीं 26 प्रतिशत आपराधिक प्रवृत्ति के उम्मीदवार को इसलिए मतदान कर जाते हैं, क्योंकि उन्हें इसकी जानकारी नहीं होती.

एडीआर की मध्य प्रदेश इकाई की समन्वयक रोली शिवहरे के अनुसार, मतदान में हिस्सा लेने वालों में 61 फीसदी मतदाताओं के लिए खुद की राय अहम होती है तो 18 फीसदी मतदाताओं के लिए पति-पत्नी व 18 फीसदी मतदाताओं के लिए पारिवारिक सदस्यों की राय मायने रखती है. 61 प्रतिशत मतदाता नकद व उपहार के वितरण को अवैध मानते हैं.

सर्वेक्षण के अनुसार, पूरे मध्य प्रदेश में मतदाताओं की शीर्ष तीन प्राथमिकताएं हैं -रोजगार के बेहतर अवसर (61.9 प्रतिशत), कृषि उत्पादों के लिए अधिक मूल्यों की प्राप्ति (39.19 प्रतिशत) और बेहतर अस्पताल व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (32.69 प्रतिशत). ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के बेहतर अवसर (59 प्रतिशत), कृषि उत्पादों के लिए अधिक मूल्यों की प्राप्ति (56 प्रतिशत) और कृषि के लिए बिजली (40 प्रतिशत) जैसी तीन प्राथमिकताएं हैं. वहीं शहरी मतदाताओं के लिए तीन शीर्ष प्राथमिकताएं रोजगार के बेहतर अवसर (70 प्रतिशत), बेहतर अस्पताल व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (45 प्रतिशत) और बेहतर कानून-व्यवस्था (41 प्रतिशत) हैं.

एडीआर और आरएएसी ने राज्य के सभी 29 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के 14,500 मतदाताओं (उम्र 18-40 वर्ष) से सीधे संवाद कर सर्वेक्षण किया. यह सर्वेक्षण अक्टूबर-दिसम्बर 2018 में किया गया था. इस सर्वेक्षण में 70 प्रतिशत मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों से थे, जबकि 30 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों से थे. इसी प्रकार इसमें 73 फीसदी पुरुष, जबकि 27 फीसदी महिलाओं को शामिल किया गया था. 54 प्रतिशत मतदाता सामान्य वर्ग से, 19 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 15 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 13 प्रतिशत मतदाता अति पिछड़े वर्ग से थे.

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इस सर्वेक्षण में रैंडम सैम्पलिग की प्रक्रिया को न अपनाकर इस तरह की प्रक्रिया अपनाई गई, जिसमें हर वर्ग का प्रतिनिधित्व हो सके.

सर्वेक्षण की रपट के आधार पर एडीआर ने स्पष्ट किया है, ‘यह सर्वेक्षण किसी भी सरकार के काम-काज को जांचने के लिए नहीं किया गया था, बल्कि इसका उद्देश्य मतदाताओं की अपनी प्राथमिकताओं को समझने का था. सर्वेक्षण के तीन मुख्य उद्देश्य शासन के विशिष्ट मुद्दों पर मतदाताओं की प्राथमिकताएं, उन मुद्दों पर सरकार के प्रदर्शन की मतदाताओं द्वारा रेटिंग, और मतदान के व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक थे.’

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