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Saturday, 21 December, 2024
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मोदी सरकार 70 साल में संस्थानों के लिए सबसे विनाशकारी: पूर्व पीएम मनमोहन सिंह

मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं मोदी के बारे में कुछ नहीं कहूंगा. प्रधानमंत्री को विनम्र होना चाहिए. उन्हें विपक्ष को तिरस्कार के भाव से देखना बंद करना चाहिए.

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नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह मोदी सरकार के कामकाज को एक अर्थशास्त्री के नजरिए से भी आंकते हैं. उनका कहना है कि 10 साल गठबंधन सरकार चलाने के बावजूद हम भारत को मजबूत वृद्धि दर देने में सफल रहे. अगर मोदी सरकार की तरह हमारे पास पूर्ण बहुमत होता तो हम आर्थिक वृद्धि दर दो अंकों तक ले जाते. यूपीए के 10 साल में औसत वृद्धि दर 8.1% रही. इसके विपरीत पूर्ण बहुमत के बावजूद मोदी सरकार पिछले पांच साल में 8% का आंकड़ा नहीं छू सकी.

87 साल के डाॅ. सिंह लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सरकारी हमलों और दोषपूर्ण नीतियों से आहत हैं. लोकसभा चुनाव के लिए जारी महासंग्राम में वे बेशक प्रचार नहीं कर रहे, लेकिन देश के माहौल और मुद्दों पर उनकी बारीक नजर लगातार बनी हुई है.

सवाल : आप भी प्रधानमंत्री मोदी की तरह सामान्य परिवार से हैं, लेकिन आपने इसे चर्चा का मुद्दा नहीं बनाया, क्यों?
जवाब : कई महान नेता सामान्य परिवार से ही थे. लालबहादुर शास्त्री, मोरारजी देसाई भी गरीब परिवारों से आए, लेकिन उन्होंने कभी आत्मप्रचार के लिए अपनी गरीबी और कठोर हालात पर डींगें नहीं हांकीं. मोदी देश के पहले पीएम हैं, जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है. यह हमारे राष्ट्र निर्माताओं की नीतियों का ही फल है, जिनके कारण न केवल आर्थिक विकास हुआ, बल्कि सबको प्रगति के समान अवसर भी मिले.


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सवाल : अर्थशास्त्री के रूप में आप एनडीए सरकार का आकलन कैसे करेंगे? आपकी नजर में इस सरकार की सबसे बड़ी कामयाबी और सबसे बड़ी नाकामी क्या है?
जवाब : मौजूदा सरकार के पास नए सुधार शुरू करने के लिए पूर्ण बहुमत था, लेकिन ऐसा करने में वह पूरी तरह नाकाम रही. इस सरकार की सबसे बड़ी विफलता रोजगार के मोर्चे पर है. दूसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधार शुरू करने के बजाय नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी लागू करने जैसे विध्वंसक और नासमझी वाले फैसले लिए. परिणाम यह है कि 4 करोड़ लोग नौकरी गंवा चुके हैं. बेरोजगारी दर 45 सालों में सर्वाधिक है. आर्थिक वृद्धि दर 5 साल में सबसे कम है और गणना का तरीका बदलने के बावजूद औसत जीडीपी निराशाजनक और शंकापूर्ण है. 2018 में औद्योगिक वृद्धि दर 4.45% रही, जबकि यूपीए सरकार के 2004-14 के कार्यकाल में यह 8.35% थी. इस सरकार में कृषि वृद्धि दर सिर्फ 2.9% है, जबकि हमारे 10 सालों में 4.2% थी. घरेलू बचत पिछले 20 साल में सबसे कम है. बैंकों के एनपीए 5 गुना बढ़ गए हैं. नया निवेश 14 सालों में न्यूनतम स्तर पर है. भाजपा ने भविष्य के लिए संस्थान बनाने की बात कही थी, लेकिन मुझे कहते हुए पीड़ा हो रही है कि 70 सालों के इतिहास में मोदी सरकार संस्थानों के लिए सबसे विनाशकारी साबित हुई है.

सवाल : अर्थव्यवस्था पर न्याय याेजना का क्या असर पड़ेगा?
जवाब : इसके दो मुख्य उद्देश्य हैं. पहला- गरीबी काे पूरी तरह से खत्म करना. दूसरा- अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना. आजादी के समय देश में 70% गरीब थे. 7 दशकों की नीतियों के कारण अब 20% गरीब बचे हैं. यह सही समय है, जब हम न्याय योजना के जरिए एक ही झटके में गरीबी को मिटा सकते हैं. इससे भारत में नए युग का सूत्रपात होगा. रही बात योजना पर खर्च की तो यह जीडीपी का 1.2 से 1.5% तक होगा. इसके लिए कोई नया टैक्स लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.

सवाल : चुनाव से पहले मोदी की बायोपिक बनी. कांग्रेस के खिलाफ एक्सीडेंटल पीएम फिल्म आई. कैसा लगा?
जवाब : भाजपा ने हमारी सरकार की ऐसी तस्वीर पेश की, जो सच्चाई से कोसों दूर थी. सच्चाई यह थी कि हमने 14 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला, जो इतनी कम अवधि में एक रिकाॅर्ड है. विश्वस्तरीय हवाई अड्‌डे, हाईवे और मेट्रो सिस्टम बनाए. जहां तक फिल्म की बात है तो हम कला की आजादी का सम्मान करते हैं. लोग इस सबके पीछे की सच्चाई अच्छे से समझते हैं.

सवाल : कांग्रेस सत्ता में आई तो क्या दोबारा पीएम बनना चाहेंगे?
जवाब : मैंने 10 साल तक अपनी सभी योग्यताओं के दम पर सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास किया. मैं सार्वजनिक जीवन में बना रहूंगा. लेकिन, अब युवाओं को नेतृत्व देना चाहिए. मैं केंद्र में कांग्रेस की एक उन्नतीशील, लिबरल और लोकतांत्रिक सरकार देखना चाहता हूं.

सवाल : कांग्रेस सरकार बनी ताे सबसे बड़ा सुधार क्या करेंगे?

जवाब : कांग्रेस ने नया जीएसटी-2 लागू करने का वादा किया है. नया जीएसटी सभी सामानों व सेवाओं पर एक, मध्यम और टैक्स की स्टैंडर्ड दर पर आधारित होगा ना कि मौजूदा सरकार की मल्टीपल टैक्स दरों पर.

सवाल : आपको क्या लगता है, मोदी सरकार को एक और मौका नहीं मिलना चाहिए?
जवाब : मौजूदा सरकार के शासन में देश ने देखा कि संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को किस तरह समाप्त कर दिया गया. सत्तारूढ ताकतों ने योजनाबद्ध ढंग से इन्हें कमजोर किया है. हमें संवैधानिक संस्थाओं व समाज पर हो रहे हमले से प्रभावी ढंग से लड़ना होगा वरना इतिहास हमें माफ नहीं करेगा.

सवाल : अगर माेदी की तरह आपकोे पूर्ण बहुमत से सरकार चलाने का माैका मिला हाेता ताे ऐसा क्या करते?
जवाब : देखिए, गठबंधन सरकार होने के बावजूद हम भारत को एक मजबूत वृद्धि दर देने में सफल रहे. हमारे पास मौजूदा सरकार जैसा पूर्ण बहुमत होता तो हम आर्थिक वृद्धि दर को न केवल दो अंकों तक ले जाने का लक्ष्य रखते, बल्कि उसे पूरा भी करते. भाजपा सरकार ने सुधारों की सूई को वापस मोड़ दिया है. हमारी अर्थव्यवस्था अभी ओवर रेग्यूलेटेड है. सरकारी नियंत्रण बहुत ज्यादा है. आर्थिक नीतियों में अदालती हस्तक्षेप बढ़ रहा है. कांग्रेस का आर्थिक दर्शन खुली और लिबरल मार्केट अर्थव्यवस्था के जरिए वैल्थ क्रिएशन का है.

सवाल : आप खुद को कैसे याद किया जाना पसंद करेंगे? एक अर्थशास्त्री, प्रधानमंत्री या विश्वस्तरीय शिक्षाविद के रूप में?
जवाब : सरकार से बाहर होने के पांच साल बाद भी मैं कह सकता हूं कि देश के लोग अब भी हमारे काम को याद करते हैं. इतिहास हमारे प्रति दयालु रहा है. यूपीए सरकार एक दशक तक निरंतर अधिकतम वृद्धि दर और इतने कम समय में 14 करोड़ लोगों को गरीबी से निजात दिलाने के लिए याद की जाएगी. यह एक टीम एफर्ट था. मैंने हर भूमिका को अपनी सर्वश्रेष्ठ योग्यता के साथ निभाते हुए न्याय की कोशिश की है.

सवाल : काेई ऐसा काम, जाे आपको लगता हाे कि माेदी सरकार ने सबसे अच्छा किया और आप नहीं कर पाए? साथ ही ऐसा कुछ जो वो कर सकती थी, पर नहीं कर पाई?
जवाब : मोदी सरकार ने पिछली सरकारों द्वारा शुरू किए गए सुधारों को गति ना देकर बदलाव का सुनहरा अवसर गंवा दिया. वह अपने पूर्ण बहुमत का प्रयोग करके काफी कुछ कर सकती थी. इस सरकार में कुछ बैंकिंग सुधार जरूर हुए हैं, लेकिन वे अभी काफी आरंभिक चरण में ही हैं.


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सवाल : क्या आपको लगता है कि गठबंधन सरकार विकास में बाधक है?
जवाब : मैं इस आकलन से बिल्कुल असहमत हूं. अतीत में हमारे यहां गठबंधन सरकारें रहीं हैं जिनके शासनकाल में वृद्धि दर बहुमत वाली सरकारों के समय से कहीं अधिक रही है. यूपीए शासन के दस साल में औसत वृद्धि दर 8.1% रही. इसके विपरीत पूर्ण बहुमत के बावजूद भाजपा सरकार पिछले पांच साल में 8% का आंकड़ा कभी नहीं छू सकी. कांग्रेस शासन में समाज कल्याण कार्यक्रमों मसलन मनरेगा, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा के अधिकार एवं वन अधिकार संभव हो सके क्योंकि इन्हें लागू करने से पहले बड़े पैमाने पर लोगों से राय ली गई. पिछले पांच सालों में यह अप्रोच गायब है. प्रदेशों की वित्तीय स्वायत्ता और संघीय ढांचे को काफी हद तक अंडर माइन किया गया है क्योंकि केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली स्वेच्छाचारी सरकार सत्तारूढ है. गठबंधन सरकार में फैसले लेते समय चैक एवं बैलेंस निरंतर बने रहते हैं जिसके कारण फैसले ज्यादा लोकतांत्रिक व सावधानी से होते हैं. मौजूदा भाजपा सरकार में देखा गया है कि बड़े फैसलों के बारे में भी कैबिनेट मंत्रियों तक को जानकारी नहीं होती.

सवाल : क्या आपको लगता है कि मोदी सरकार रोजगार देने में नाकाम रही है?
जवाब : मोदी जी ने दो करोड़ रोजगार हर साल देने का वादा करके सत्ता हासिल की थी लेकिन उनकी नीतियों के कारण युवाओं के चार करोड़ रोजगार जा चुके हैं. सरकारी सर्वेक्षणों को पर्दे के पीछे छिपाने से कोई फर्क नहीं पड़ता. कड़वी सच्चाई यह है कि बेरोजगारी की दर फिलहाल 6.1 फीसदी है जो पिछले 45 सालों में सर्वाधिक है.

सवाल : कांग्रेस का आरोप है कि नोटबंदी के दौरान करोड़ों रुपए के काले धन को सफेद में बदला गया, आप आरबीआई के गवर्नर भी रहे हैं. आपको क्या लगता है, ऐसा संभव है?

जवाब : नोटबंदी की वास्तविक सच्चाई यह है कि यह जानबूझकर की गई एक ऐतिहासिक विफलता थी. ऐसे कई खुलासे हो चुके हैं जिनसे यह साबित हो गया कि नोटबंदी, कालेधन को सफेद करने की एक संदिग्ध योजना थी. एक तरफ जहां बैंकों के बाहर लाइनों में खड़े होकर 120 लोगों ने जानें गंवा दीं वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार की नाक के ठीक नीचे पुराने नोटों को नए नोटों में बदलने की समानांतर कालाबाजारी जारी रही.

(दैनिक भास्कर से विशेष साभार के साथ)

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