नई दिल्ली: देश की सबसे हॉट सीट भोपाल पर भगवा लहराने की तैयारी है. यहां से भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जीत के बेहद करीब है. कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह का कहना है कि अभी हमने उम्मीद नहीं खोई है. प्रदेश में सबसे ज्यादा 30 उम्मीदवार यहां से मैदान में हैं.12 मई को हुए मतदान में इस संसदीय क्षेत्र के इतिहास का सबसे ज्यादा 65.69 फीसदी मतदान हुआ था.राज्य की 28 सीटों पर भाजपा बढ़त बनाई हुई है. छिंदवाड़ा पर सीएम कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ आगे चल रहे हैं.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का चुनावी दंगल राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा दोनों के लिए ‘प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई’ बना हुआ था. इन चुनावों में दोनों दलों ने धर्म को मुद्दा बनाया. कांग्रेस ने राज्य के कद्दावर नेता और पूर्ण मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा तो भाजपा ने हिंदू धर्म की ध्वजवाहक मानी जाने वाली और 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले की आरोपी प्रज्ञा को आगेकर कांग्रेस के सामने चुनौती पेश की.
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भाजपा को देखते हुए इन चुनावों में कांग्रेस ने मजबूरन धर्म का सहारा लिया. भाजपा ने कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह को ‘हिंदू विरोधी’ बताने की मुहिम भी चलाई.भाजपा अपनी उम्मीदवार प्रज्ञा को हिंदू होने के कारण कांग्रेस के इशारे पर प्रताड़ित किए जाने की बात फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, तो दिग्विजय भी पूरे चुनाव में अपने को ‘हिंदू समर्थक’ बताने में लगे रहे. प्रचार के दौरान वे मंदिर भी गएए. कुछ साधु—संतों ने उनके लिए प्रचार भी किया. इस तरह भोपाल का चुनाव धर्म चुनावी मुकाबले का केंद्रबिंदु बना रहा.
चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर को घेरने के लिए साधु-संतों का सहारा लिया. शिवराज राज में राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले कंप्यूटर बाबा सिंह के लिए हठयोग किया. इसके अलावा रोड़ शो कर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को जिताने की अपील भी की.इन चुनावों में सबसे चर्चित बात यह रही कि कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भाजपा के आरोपों का सीधे तौर पर जवाब देने से बच रहे हैं. वे कहते नजर आए कि मेरे लिए मानवता सवरेपरि है, कुछ लोगों ने धर्म के नाम पर उन्माद फैलाया है. इसलिए सभी को मिलकर एकजुटता के लिए अभियान चलाना चाहिए, क्योंकि भारत माता के सभी लालों ने काफी मेहनत कर इस देश को बनाया है. दिग्विजय के समर्थन में उतरे साधु-संत कांग्रेस के झंडे के साथ भगवा झंडे का भी उपयोग होने के सवालों से घिरे सिंह कहते नजर आए कि भगवा पर किसी का एकाधिकार है क्या.
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भाजपा प्रत्याशी बनाए जाते ही प्रज्ञा ठाकुर ने जो बयान दिया, वह समूचे देश में चर्चा का केंद्र बन गया. उन्होंने मुंबई एटीएस प्रमुख रहे हेमंत करकरे की 26/11 के आतंवादी हमले में शहादत पर कहा था कि करकरे को तो मेरे श्राप के कारण ऊपर जाना पड़ा. उनके इस बयान की निंदा करने वालोंने इसे एक कर्तव्यनिष्ठ शहीद का अपमान बताया. मामला तूल पकड़ने पर प्रज्ञा ने बाद में माफी मांग ली. इसके बाद प्रज्ञा ने बाबरी मजिस्द ढहाए जाने को गर्व की बात कहा. अदालत में विचाराधीन इस मामले पर भी देशभर में तीखी प्रतिक्रया हुई.
इस बीच दिग्विजय के समर्थन में प्रचार करने आए मशहूर गीतकार जावेद अख्तर, माकपा नेता सीताराम येचुरी और स्वामी अग्निवेश ने नई बहस को जन्म दिया.अख्तर ने बुर्का व घूंघट, दोनों पर रोक की पैरवी की.येचुरी ने हिंदू शासकों को हिंसक बताया.भाजपा ने इसका प्रतिकार किया और दोनों ओर से आए बयान इस संसदीय चुनाव को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की ओर ले गए. इन सभी विवादों के बाद भोपाल के चुनावी रंग की तस्वीर ही बदल गई.लोकसभा चुनाव समस्याओं, ज्वलंत मुद्दों की बजाय भगवा और हिंदुत्व की तरफ मुड़ते चले गया.
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भोपाल संसदीय सीट पर वर्ष 1989 के बाद से भाजपा का कब्जा रहा है. इस संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए 16 चुनावों में कांग्रेस को छह बार ही जीत हासिल हुई है. 19,56,936 मतदाताओं में करीब चार लाख मुस्लिम, साढ़े तीन लाख ब्राह्मण, ढाई लाख कायस्थ, दो लाख अनुसूचित जाति-जनजाति, सवा लाख क्षत्रिय, इतने ही सिन्धी मतदाताओं को करना है. फिलहाल कायस्थ समाज के आलोक संजर सांसद हैं. 8 विधानसभाएं जिसमें भोपाल उत्तर, भोपाल दक्षिण-पश्चिम,भोपाल मध्य में कांग्रेस तो नरेला,गोविन्दपुरा, हुजूर, सीहोर, बैरसिया में भाजपा काबिज है.