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Saturday, 21 December, 2024
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तमिलनाडु में यूपीए भारी जीत की ओर, जयललिता के बिना एआईएडीएमके ने खोई जमीन

तमिलनाडु के राजनीति में एक खालीपन पैदा हुआ है जिसकी भरपाई उनकी विरासत संभालने वाले पलानीस्वामी और ओ. पन्नीरसेलवम करते नहीं दिख रहे.

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नई दिल्लीः दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु में राज्य में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन काफी अंतर से लीड लेती दिख रही है. लोकसभा चुनाव में भारी हार का सामना कर रही कांग्रेस को यह राहत देने वाला है. यहां डीएमके 22 सीटों पर आगे चल रही जबकि सहयोगी कांग्रेस 8 सीटों पर आगे है. कुल 39 में से 38 सीटों के रुझान आ चुके हैं. वहीं ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कडगम (एआईएडीएमके) मात्र दो सीटों पर आगे चल रही है, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अन्य दो सीटों पर.

तमिलनाडु की एआईएडीएमके (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) की कद्दावर नेता जयललिता के देहांत बाद जनता एम. के. स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके पर भरोसा जताती दिख रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके ने 44.3 वोट प्रतिशत के साथ 37 सीटें जीती थी. यह बढ़त एग्ज़िट पोल के नतीजों के मुताबिक ही दिख रही है.

तमिलनाडु की कुल लोकसभा की 39 सीटें हैं. यह राज्य केंद्र की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है. यहां दो प्रमुख राजनीतिक दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सत्ता में रहे हैं. यहां लोकसभा चुनाव के अलावा 18 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी साथ ही हुए हैं. इस बार लोकसभा चुनाव में डीएमके ने कांग्रेस से गठबंधन किया है. वह 30 और कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.


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2014 के लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक ने 37 सीटें जीती थी. बीजेपी एक और एस रामदास के नेतृत्व वाली पट्टली मक्कल काची ने एक सीट. वहीं मुख्य विपक्षी दल डीएमके ने तत्कालीन पार्टी संरक्षक एम करुणानिधि के नेतृत्व में एक भी सीट नहीं जीत पाया था. तमिलनाडु में कुल 4,20,83,544 मतदाता हैं जिनमें से 2,07,58,857 पुरुष मतदाता और 2,13,23,767 महिला मतदाताओं वोटिंग की है.

गौरतलब है कि तमिलनाडु में डीएमके और एआईएडीएमके दो प्रमुख दल हैं. कांग्रेस तीसरा प्रमुख दल है. राज्य में डीएमके और कांग्रेस पार्टी में गठबंधन है. राज्य की कुल 39 सीटों में से डीएमके 30 तो कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ी है.

पर 2014 से 2019 के बीच राज्य की राजनीति में 360 डिग्री बदलाव आया. डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि और एआईएडीएमके नेता जे जयललिता दोनों के निधन के बाद पार्टियों में बिखराव की स्थिति आ गई. वहीं जयललिता की करीबी शशिकला को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाना पड़ा. नेतृत्व की जंग सड़क पर दिखी. डीएमके में एमके स्टालिन बॉस बन कर उभरे, उनके भाई को एमके अडागिरी का उत्तराधिकार का दावा खत्म हुआ. पर अम्मा के उत्तराधिकारी को लेकर घमासान मचा रहा.


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इस बीच अभिनेता कमल हासन तमिलनाडु में नई पार्टी के साथ नये राजनीतिक हालात का फायदा उठाने की कोशिश में एक नए दल के साथ आए. हासन ने ‘मक्कल नीधि मय्यम’ यानि न्याय केंद्र पार्टी बनाई .

नहीं जमा राज्य के लोगों को भाजपा का साथ

जयललिता के निधन के बाद हो रहे लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में एआईएडीएमके को बड़ा झटका लग सकता है.  उनकी विरासत संभालने वाले इके पलानीस्वामी और ओ. पन्नीरसेलवम ऐसा करते नहीं दिख रहे. पार्टी का भाजपा के साथ राज्य में गठबंधन कहीं न कहीं लोगों को हजम नहीं हुआ है. इस गठबंधन के साथ पीएमके और डीएमडीके शामिल है. और वे यूपीए यानि डीएमके-कांग्रेंस गठबंधन के तरफ मुड़ते दिख रहे हैं.


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सभी विश्लेषक तामिलनाडु में डीएमके को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरता हुआ बता रहे हैं. कांग्रेस से गठबंधन करने वाले स्टालिन ने पहले ही राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में सबसे अच्छा उम्मीदवार बता दिया था. वहीं कांग्रेस दक्षिण भारत में अच्छा खासा जनाधार हमेशा रखती रही है. जिसका फायदा गठबंधन को मिलता दिख रहा है.

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