नई दिल्ली: जैसे ही चुनाव आने वाला होता है देश का रुझान जानने मीडिया और देश में राजनीति में नजर रखने वाली कुछ कंपनियां सर्वेक्षण में जुट जाती हैं. देश का मूड क्या है, देश की जनता इसबार किस पार्टी से नाराज है किसके साथ है. राज्य में और केंद्र में किसकी सरकार बनने जा रही है. किसी सर्वेक्षण में निकल कर आता है कि भाजपा को कम से कम इतनी सीट मिलने जा रही है तो कोई कांग्रेस को तो कोई अन्य पार्टी को.
सर्वे भी अलग अलग होते हैं…इसका काम भी चुनाव से दो-तीन और पांच महीने पहले से ही शुरू हो जाता है और इसे दो भागों में बांटा जाता है. ओपिनियन पोल और एग्जि़ट पोल. वैसे समय समय पर पार्टी मांग करती हैं कि इस तरह के सर्वेक्षणों पर रोक लगाई जाए. बता दें कि चुनाव आयोग ने एक्जि़ट पोल पर प्रतिबंध लगाया हुआ है कि उसे मतदान खत्म होने के बाद ही मीडिया दिखा सकती है और इससे जनता और राजनीतिक पार्टियां यह अनुमान लगाती हैं कि उनकी पार्टी कितनी सीटों पर जीतने जा रही है. लेकिन हर बार यह सर्वेक्षण सफल भी नहीं रहा है.
कब कब फेल रहे सर्वेक्षण इससे पहले ये जानना ज़रूरी है कि
क्या होता है ओपिनियन पोल?
चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद सर्वेक्षण कंपनियां जनता के बीच पहुंच जाती हैं जानने के लिए कि मौजूदा सरकार ने जो काम किया वह उससे संतुष्ट हैं या नहीं…जनता से कई सवाल किए जाते हैं और उनसे पूछा जाता है कि आप किस पार्टी को वोट देंगे…ऐसे सर्वेक्षण को ओपिनियन पोल कहते हैं. यह सर्वे अलग अलग राज्यों में मतदाताओं के बीच किया जाता है जिसमें हर वर्ग के लोग शामिल होते हैं. मुख्य रूप से सैंपल साइज पर जोर होता है.जो कंपनी जितने अधिक लोगों के पास पहुंचती है उसके नतीजे उतने ही सटीक होते हैं या फिर परिणाम के निकट होते हैं.
अब जब आखिरी चरण का मतदान चल रहा है और नई सरकार किस पार्टी की बनने जा रही है. क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर बनेंगे देश के सरताज इन सब बातों के साथ अगर पीछे किए गए सर्वेक्षणों पर नजर डालें तो मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ चुकी है. सर्वेक्षण जनवरी और अप्रैल में इसी साल कराए गए और देखा गया कि बहुत कम मार्जिन से एनडीए सरकार जीतने जा रही थी जो अप्रैल आते आते बहुमत की ओर बढ़ गई.
बस अब से कुछ ही घंटों बाद जब अधिकतर न्यूज़ चैनल अपने एक्जि़ट पोल सर्वेक्षण की बातें कर रहे होंगे उससे पहले हम आपको बताना चाहते हैं कि चुनाव शुरू होने के महज डेढ महीने पहले तक 2019 के इस लोक सभा चुनाव को लेकर इन्हीं चैनलों का ओपिनियन क्या कह रहा था.
किन चैनलों ने किसके साथ मिल कर किया सर्वे
तो बता दें कि इंडिया टुडे ने कार्वी, एबीपी न्यूज- सीवोटर, टाइम्स नाऊ- वीएमआर, जी न्यूज- तास, रिपब्लिक टीवी- सी वोटर और न्यूज नेशन ने भी अपना सर्वेक्षण कराया है और इसमें एक ओर जहां 543 सीटों वाली संसद में एनडीए को 275 से 280 सीटें दिलाई हैं. और मार्च अप्रैल में आए अपने सर्वेक्षणों में भी इन मीडिया हाउस ने एनडीए को ही बढ़त मिलने की बात कही है.
लेकिन हमेशा और हर किसी मीडिया हाउस का यह कहना नहीं थी इंडिया टुडे- कार्वी ने अपने जनवरी के सर्वेक्षण में एनडीए को लगभग 100 सीटों का लॉस दिखाते हुए महज 237 सीट ही दिलाई थी जबकि 2014 के चुनाव में इसे 336 सीटों के साथ देश की जनता ने सिंहासन सौंपा था. वहीं कांग्रेस नीत यूपी को 166 सीटें यानी 2014 की तुलना में 66 सीटें अधिक. लेकिन इसके साथ भी कांग्रेस और यूपीए की किसी भी पोल ने बढ़त नहीं बताई.
वहीं टाईम्स नाऊ और वीएमआर ने अपने जनवरी में किए गए दस दिनों के सर्वेक्षण के बाद एनडीए को 252 सीटें दिलाईं जबकि यूपीए को 146 सीटें जबकि अन्य को 145 सीटें.
इन सभी सर्वेक्षणों में उत्तर प्रदेश में एनडीए को भारी नुकसान की बात भी कही थी. सर्वे में कहा गया कि अभिषेक यादव और मायावती के गठबंधन को 51 सीटें मिलेंगी और 2014 की तुलना में एनडीए 73 से 27 के आंकड़े पर पहुंच जाएगी. जबकि एबीपी न्यूज ने सी वोटर के साथ किए गए अपने सर्वेक्षण में हंग पार्लियामेंट की बात कही थी. जिसनें 233 सीटें एनडीए को और 167 सीटें यूपीए को.
मीडिया हाउस बदलते माहौल में एक बार फिर अपनी सर्वेक्षण टीम के साथ मार्च में निकली देश का मूड जानने और जनवरी में जो पार्टियां हंग पार्लियामेंट की बात कर रही थीं उनका सर्वेक्षण बदलने लगा. जनवरी में सिर्फ टाइम्स नाऊ और वीएमआर और इंडिया टीवी सीएनएक्स ने एनडीए को बहुत कम बढ़त के साथ जीत की बात कही थी अब 252 से बढ़कर 283 तक पहुंच गया जबकि इंडिया टीवी ने 272 से बढ़ाकर इसे 285 किया और यह सब बढ़त बालाकोट हमले के बाद देखा गया.
वहीं कुछ मीडिया हाउस ने भी सर्वेक्षण कराया जिसमें जी24 तास के साथ, रिपब्लिक टीवी- सीवोटर के साथ और न्यूज नेशन अपने पत्रकारों के साथ मैदान में उतरा और हंग पार्लियामेंट की बात कही. जी का मराठी चैनल ने एनडीए को 264 सीटें दीं वहीं यूपीए को 165 सीटें जबकि अन्य को 114 सीटें.
वहीं हिंदी न्यूज चैनल न्यूज नेशन ने अपने सर्वेक्षण में एनडीए को 270-273 सीट का ही जिक्र किया और यूपीए को 134 सीटें दीं.न्यूज नेशन इसके साथ सर्वेक्षण में प्रधानमंत्री पद और बालाकोट जैसे सवालों पर भी जनता की राय जानी और इसका सीधा प्रभाव देखने को मिला.
अप्रैल आते आते देश का मूड बहुत तेजी से बदला और एनडीए जो मार्च तक थोड़ी सी मार्जिन से जीत रही थी वह क्लियर मैजोरिटी के साथ सरकार बनाने के लिए आगे बढ़ती दिखाई दी.
अप्रैल के अपने सर्वेक्षण में टाइम्स नाऊ- वीएमआर ने 279 सीट, एनडीए को 149 और अन्य को 115 सीट के साथ बढ़त दिखाई जबकि इंडिया टीवी सीएनएक्स का ओपिनियन पोल पहले चरण के मतदान से पहले अपने ओपिनियन पोल में कहा कि एनडीए 275 सीट और यूपीए 126 सीटों के साथ सदन पहुंचेगी जबकि अन्य को 142 सीट मिलेगी.
पोल ऑफ द पोल के सर्वे के मुताबिक महागठबंधन और कांग्रेस की न्याय योजना का भी चुनाव पर कुछ खास असर होता नहीं दे रहा है. पिछले चुनाव में बीजेपी और उनके सहयोगी दल को 336 सीटें हासिल हुई थीं.
ये बात तो थी ओपिनियन पोल की जिसमें देश का मूड महज तीन महीनों में बदलता हुआ देखा गया..आज आखिरी चरण का मतदान चल रहा है और कुछ ही देर में एक्जि़ट पोल के नतीजे आने शुरू हो जाएंगे जिसमें यही सर्वे कुछ और कहानी कह रहे होंगे. मतदाता ने ईवीएम में किसका भाग्य तय किया है यह 23 तारीख को पता चलेगा.