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Saturday, 21 December, 2024
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नीतीश के नेता का वार- मोदी के मंत्री अश्विनी चौबे लड़े तो हारेगी बीजेपी

बिहार के बक्सर से ताल्लुक रखने वाले ददन पहलवान ने दिप्रिंट से कहा, 'अश्विनी चौबे ने बक्सर में कोई काम नहीं करवाया है और यहां कोई विकास नहीं हुआ है.'

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नई दिल्ली: बिहार के बक्सर ज़िले में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. शुक्रवार को लोगों ने ज़िले के सांसद और नरेंद्र मोदी सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री अश्विनी चौबे का पुतला दहन किया. लोगों का आरोप है कि चौबे ने ज़िले के लिए कोई काम नहीं किया है. वहीं, लोग यह भी कह रहे हैं कि आचार संहिता लागू होने के बाद उन्होंने जल्दी-जल्दी में कई परियोजनाओं का फीता काटने का काम किया है.

बड़ी बात यह है कि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइ़टेड (जेडीयू) के कद्दावर विधायक ददन पहलवान लोगों के इन आरोपों से इत्तेफाक रखते हैं.

बीजेपी समर्थक कर सकते हैं नोटा का इस्तेमाल

अश्विनी चौबे साभार: अश्विनी चौबे का ट्विटर हैंडल

बक्सर के डुमरांव से ताल्लुक रखने वाले ददन पहलवान ने दिप्रिंट से कहा, ‘अश्विनी चौबे ने बक्सर में कोई काम नहीं करवाया है और यहां कोई विकास नहीं हुआ है.’ दिप्रिंट को बक्सर के लोगों से पता चला है कि अगर चौब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार के तौर पर शहर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे तो ये लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं होगा. इससे जुड़े सवाल के जवाब में पहलवान ने कहा कि ऐसी किसी संभावना को वो नकार नहीं रहे हैं. वहीं, कुछ बीजेपी समर्थकों से बात करने पर पता चला कि वो चौबे को वोट देने की जगह नोटा का बटन दबाने की तैयारी में हैं.

इस सीट से अपनी उम्मीदवारी पर बल देते हुए उन्होंने कहा, ‘2004 लोकसभा में निर्दलीय लड़कर मैं दूसरे नंबर पर रहा था. 2009 में मुझे निदर्लीय उम्मीदवार के तौर पर महज़ 7000 वोटों से हारना पड़ा. वहीं, 2014 के आम चुनाव के दौरान मोदी लहर में भी मुझे 1.86 लाख़ वोट मिले.’ उन्होंने ये जानकारी भी दी कि बक्सर लोकसभा क्षेत्र में एक तरफ जहां सवर्णों का 3.5 लाख़ वोट है, वहीं अन्य जातियों के वोटों की संख्या 10 लाख़ से ऊपर है. उनका इशारा इस ओर था कि अगर चौबे को बीजेपी उम्मीदवार बनाए रखती है तो जाति के इन वोटों का बिखराव हो जाएगा.

बिहार में कुल लोकसभा सीटों की संख्या 40 हैं

ददन पहलवान |साभार: ददन यादव पहलवान का फेसबुक पेज

दिप्रिंट से बातचीत में उन्होंने साफ कर दिया कि चौबे के छवि के साथ वो बीजेपी को समर्थन देने के मूड में नहीं हैं और ऐसे में जातियों का वोट बिखरने की पूरी संभावना है. अपने राजनीतिक इतिहास को सामने रखते हुए उन्होंने इस सीट से अपनी उम्मीदवारी पर बल दिया और कहा कि इस सीट से उन्हें 100% मौका मिलना चाहिए. बिहार में बीजेपी और जेडीयू एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं. इसके तहत दोनों पार्टियां 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. वहीं रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को छह सीटें दी गई हैं. बिहार में कुल लोकसभा सीटों की संख्या 40 हैं.

बक्सर में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत बदतर

शहर से समाजिक कार्यकर्ता राम जी से जब दिप्रिंट के बात हुई तो उन्होंने कहा, ‘बिहार के आरा (सांसद आरके सिंह), बक्सर और इनके करीबी शहर उत्तर प्रदेश के गाजीपुर (सांसद मनोज सिन्हा) से बीजेपी के नेता मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं. आरा और गाजीपुर में तो काम हुआ है लेकिन बक्सर की हालत बेहद नाज़ुक है.’ उन्होंने कहा कि शहर में स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम व्यवस्थाओं की हालत बेहद बदतर स्थिति में है. जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि चौबे वर्तमान सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री हैं.

युवा शक्ति नाम का सामाजिक संगठन चलाने वाले रामजी का भी यही कहना है कि अगर चौबे बीजेपी के उम्मीदवार होते हैं तो बक्सर से लालू की पार्टी का जीतना लगभग तय है. आपको बता दें कि बक्सर से आरजेडी के कैंडिडेट जगदानंद सिंह रहे हैं. हालांकि, अभी राज्य में महागठबंधन के बीच सीटों को लेकर खींचतान जारी है और ये तय नहीं हो पाया है कि राज्य कि किन सीटों से आरजेडी के उम्मीदवार लडेंगे और किसने कांग्रेस के उम्मीदवार लड़ेंगे.

रामजी से जब हमने पूछा कि क्या सासंद महोदय तक लोगों की पहुंच आसानी से हो पाती है तो उन्होंने कहा कि आम लोगों की तो छोड़िए वो अपने समर्थकों तक से मुश्किल बात करते हैं. मिलना तो दूर की बात है. उन्होंने जानकारी दी कि बक्सर के चौसा और सिमरी जैसी जगहों में ख़ुद बीजेपी समर्थकों ने चौबे के विरोध में पुतला दहन किया था. वहीं, उन्होंने कहा कि शहर में भाजपा युवा मोर्चा को खड़ा करने में चौबे के बेटे अविरल का अहम योगदान है बावजूद इसके युवा मोर्चा उनके विरोध में है.

कुछ भी बोलने से बचते रहे जगदानंद सिंह

2009 चुनाव में बक्सर से आरजेडी के सांसद रहे जगदानंद सिंह से जब दिप्रिंट की बात हुई तो उन्होंने चौबे पर लगाए जा रहे आरोपों पर सीधी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वो सबका सम्मान करते हैं और अश्विनी चौबे अच्छे आदमी है. उन्होंने कहा कि वो किसी के काम पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करेंगे. वहीं, उन्होंने एक नागरिक के तौर पर भी शहर में हेल्थ और मूलभूत सुविधाओं के विकास से जुड़े किसी सवाल का जवाब देने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि अंतिम फैसला जनता करेगी.

मोदी के नाम पर मांगे जा रहे वोट

बक्सर में बीजेपी के छात्र नेता और हिंदू जागरण मंच जैसी संस्था से जुड़े सौरभ तिवारी ने अपने एक ट्वीट में विपक्ष के प्रोपेगेंडा ‘बक्सर सांसद का विरोध’ से बक्सर के युवाओं को बचने की अपील की है. हालांकि, उन्होंने यह नहीं लिखा कि शहर में विकास कार्य हुआ है या नहीं. उन्होंने चौबे की उम्मीदवारी पर भी कोई भी तथ्य या तर्क से समर्थन देने की कोशिश नहीं की. हां, उन्होंने ‘वोट फ़ॉर मोदी’ का नारा ज़रूर उछाला है. 2014 में चौबे समेत कई उम्मीदवार मोदी लहर पर सवार होकर लोकसभा के समर में पार हो गए थे. लेकिन 2019 में कमज़ोर पर चुकी इस लहर में देखने वाली बात होगी की मोदी नाम की ये अपील कितनी कारगर होगी.

दो दिग्गज नेताओं को लेकर बनी असमंजस की स्थिति

शुक्रवार को की मीडिया रिपोर्ट्स में ये बात सामने आई है कि बिहार के भागलपुर की सीट बीजेपी के हाथों से छिन गई है. ये सीट नीतीश के जेडीयू के पास चली गई है. बताया जा रहा है कि भागलपुर के बीजेपी समर्थकों के लिए ये किसी बुरे सपने से कम नहीं है क्योंकि ये पार्टी का गढ़ रहा है. यहां से पार्टी के कद्दावर नेता शहनावज हुसैन सांसद रहे हैं. देखने वाली बात होगी कि गठबंधन इस सीट को बचा पाता है या नहीं. वहीं, ये भी माना जा रहा है राज्य के नवादा से बीजेपी के एक और कद्दावर नेता गिरिराज सिंह का टिकट कट सकता है और ये सीट रामविलास पासवान के ख़ाते में जा सकती है.

बिहारियों पर बयान को लेकर हुआ था विवाद

आपको बता दें कि बिहारियों को लेकर अपने बयानों की वजह से भी चौबे विवादों में रह चुके हैं. उन्होंने राज्य के लोगों के दिल्ली आकर इलाज करवाने से जुड़ा एक बयान दिया था जो बेहद विवादास्पद बन गया था. हालांकि, सफाई में उन्होंने कहा था कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था.

मीडिया के लिए भी नहीं है समय

शुक्रवार को मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक बक्सर से बीजेपी के उम्मीदवार अश्विनी चौबे ही होंगे. मीडिया में ही आए उनके बयानों से साफ है कि वो भी इस सीट को छोड़ने के मूड में नहीं हैं. हमने अश्विनी चौबे को कई बार फोन कॉल्स और मैसेज किए. लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया. उनके निजी नंबर से फोन नहीं उठाया गया और उनके दिल्ली के आवास वाले नंबर पर फोन करने पर पता चला कि वो वहां मौजूद हैं. जब हमने हमारी स्टोरी के बारे में फोन उठाने वाले को जानकारी दी तो उन्होंने एक और नंबर देकर हमें चलता कर दिया. सवाल ये है कि जब मीडिया के लिए चौबे के पास समय नहीं है तो वो अपने क्षेत्र के लोगों को कितना समय देते होंगे.

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