नई दिल्ली: चुनावी माहौल को देखते हुए इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने फेसबुक, ट्वीटर और गूगल के साथ मिलकर फेक न्यूज को नियंत्रित करने का अभियान चलाया है. इन बड़ी कंपनियों के साथ-साथ इलेक्शन कमीशन ने एक और सोशल मीडिया ऐप के साथ करार किया है. यहां पर चुनावी माहौल बिल्कुल अलग और रोचक है. ये ऐप है शेयरचैट, जो देश के टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में फैला हुआ है.
गूगल प्ले स्टोर पर 100 मिलियन डाउनलोड्स के साथ ये ऐप ग्रामीण और कस्बाई भारत में प्रसिद्ध है. दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े शहरों के लोग भी इस पर ये देखने आ रहे हैं कि क्षेत्रीय भारत में क्या हो रहा है.
इस ऐप पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक साधारण सा गुड मार्निंग मैसेज भी पचास हजार लोग देख लेते हैं और पांच हजार लोग शेयर कर लेते हैं.
14 भाषाओं में ये ऐप है और ओपिनियन से दूर है
शेयरचैट की टीम ने दिप्रिंट को बताया कि इसके फाउंडर्स लखनऊ और इलाहाबाद जैसे शहरों से आते हैं. इस ऐप पर 2014 से ही काम चल रहा था. लेकिन इसे अक्टूबर 2015 में लॉन्च किया गया था. शुरुआत में सिर्फ चार भाषाएं ही थीं. अब 14 भाषाओं और बोलियों को शामिल कर लिया गया है. बाकी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स की तरह इसे ओपिनियन्स से दूर रखा गया. टीयर 2 और टीयर 3 सिटीज में ज्यादा ऑडियंस मिली. एक तो पिछले सालों में फोन का दाम सस्ता हुआ था. इंटरनेट भी सस्ता हुआ. अगर कोई पहली बार सोशल मीडिया पर आ रहा है तो उसे मन लायक जगह दी गई जहां उसे उसकी बोली और पहचान के लिए बुली ना किया जाए. 2018 में इस ऐप के 20 मिलियन यूजर्स थे. जनवरी 2019 तक 40 मिलियन हुए और अब करीब 45 मिलियन एक्टिव यूजर्स हैं.
इन्स्टाग्राम पर टीवी स्टार्स के अकाउंट देखनकर अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि पिछले एक साल में पीआर पर खूब ध्यान दिया गया है. टीवी स्टार्स टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में ज्यादा पॉपुलर हैं तो हो सकता है उनसे प्रमोशन करवाया गया हो. ऐप पर भी टीवी सीरियल्स से जुड़े कंटेंट की भरमार है.
शेयरचैट में काम करने वाले लोग भी भारत की अलग-अलग जगहों से हैं. कोई आसाम से है तो कोई चेन्नई से. इस ऐप पर हर भाषा-बोली के कॉलम बनाने का श्रेय भी इनको भी जाता है.
यहां भी पोलराइज किया जा रहा है, पर कंट्रोल भी मौजूद है
सबसे ज्यादा ऑडियंस 18-35 एज ग्रुप की है. शेयरचैट पर यह वर्ग ग्रुप करीब 70 फीसदी है. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में पहली बार वोट डालने वालों की संख्या भी करीब 10 करोड़ है. ऐसे में टीयर 2 और टीयर 3 के फर्स्ट टाइम वोटर्स इतनी संख्या में किसी दूसरी सोशल मीडिया ऐप पर नहीं हैं. इसलिए इस ऐप के जरिए इस वोटर वर्ग तक पहुंचना आसान है.
ऐसे में ज्यादातर पार्टियों ने चुनावी कैंपेन में इस ऐप के जरिए युवाओं को पोलराइज करना शुरू कर दिया है.
सेंसेटिव और आपत्तिजनक लेकर शेयरचैट का कहना है, ‘कंटेंट को लेकर उनकी अपनी गाइडलाइन्स हैं. अगर कोई आपत्तिजनक कंटेंट शेयर किया जाता है तो कम्युनिटी गाइडलाइन्स के हिसाब से हटा दिया जाता है.’
‘अगर कोई ये रूल 3 बार से ज्यादा तोड़ता है तो उसकी प्रोफाइल ही ब्लॉक कर दी जाती है. कुछ केसों में डिवाइस को ब्लॉक करने का भी ऑप्शन रखा गया है ताकि उस फोन से आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट ही ना हो.’
यहां सोशल मीडिया के टैग्स के हिसाब से कैटेगरी बदलती रहती हैं. मान लो कि अभी चुनावी माहौल है तो ज्यादा कंटेंट चुनाव से जुड़ा होगा. अगर नवरात्रि चल रहे हैं तो ज्यादा कंटेंट उससे जुड़ा होता है. सबसे ज्यादा ट्रैफिक व्हॉटसऐप के जरिए से आ रहा है. ऐप का बेस फैमिली ग्रुप्स को ध्यान में रखकर बनाया गया है. मतलब कोई भी हैशटैग नहीं छोड़ा गया है.
आगे के प्लान के बारे में बताते हुए शेयरचैट की टीम ने बताया, ‘उनकी ऑडियंस गांव में बैठी कोई महिला टेलर है तो छोटे कस्बे की कोई मेंहदी डिजाइनर. शेयरचैट का प्लान है कि इस ऑडियंस के लिए बिजनेस मॉडल तैयार कर सके. ताकि इस ऐप से सिर्फ फोटो और वीडियो ही शेयर ना की जाएं और इसके साथ ही यूटिलिटी पर फोकस किया जाएगा.’
क्या है शेयरचैट पर जो वहां सारा दिन टहल सकते हैं
-अगर वीडियो बनाने का शौक है तो वीडियो का भी ऑप्शन है. शायरी लिखना चाहते हैं तो वो भी लिख सकते हैं.
-यहां कितने लोगों ने आपका पोस्ट देखा. कितने दिन पुराना है. कितने लाइक्स और कितने कमेंट हैं. सब दिखता है.
-सुबह चाय भेजकर सबको नमस्ते कर सकते हैं तो दोपहर में खाने की थाली भेजकर राम-राम. नवरात्रों में माता का प्रसाद भी मिल जाता है और ईद की खीर भी.
– जिस हिसाब से लोग यहां प्रेम भाव से रहते हैं लगता ही नहीं कि देश के इतिहास में सांप्रदायिकता जैसा शब्द भी रहा होगा.
– यहां किसी की बोली का ना मजाक उड़ाया जाता है और ना किसी धर्म को लेकर धमकाया जाता है. लेकिन यहां सबका ‘रौला’ है. दिल टूटे आशिक का भी और गांव की चौपाल पर बीड़ी पीते ताऊ का भी.
-यहां एक चीज गायब है. वो है देश का बुद्धिजीवी वर्ग. बाकी देखा जाए तो यहां सारा हिंदुस्तान है. सबके भगवानों को भी विशेष दर्जा दिया गया है.
फेक न्यूज भी जनता फैलाएगी और इसका काट भी जनता ही देगी
कुल मिलाकर कह सकते हैं कि ये जनता के लिए जनता द्वारा फैलाया कंटेंट है. एक तरह से डेमोक्रेसी का पूरा अनुसरण किया जा रहा है. फेक खबर भी जनता ही फैला रही है और उसका काट भी जनता ही ढूंढ रही है. असलियत और जानकारी की कैटेगरी के नाम से. हर कोई हर किसी को बता रहा है कि क्या झूठ है और क्या सच. यहां घरेलू नुस्खे भी बताए जा रहे हैं.
शेयरचैट की टीम ने दिप्रिंट को बताया कि फेक न्यूज के लिए न्यूजचेकर डॉट इन वेबसाइट के साथ मिलकर फेक न्यूज से निपट रहे हैं. किसी भी संदिग्ध खबर के फैक्ट्स को पहले यह टीम वेरीफाई करेगी. अगर खबर झूठी है तो उसे या तो हटा दिया जाएगा या उसकी पहुंच कम कर दी जाएगी. पॉलिटिकल पार्टियों और नेताओ का कंटेंट भी ऐसे ही सेंसर किया जाएगा. लेकिन नेताओं के नाम से चल रही फर्जी बातें खूब पंसद भी की जा रही हैं और शेयर भी धड़ाधड़ हो रही हैं. उनके ऊपर कोई गाइडलाइन्स नहीं लागू की गई हैं.
कटुवचन से लेकर आईपीएल और चाणक्य नीति
शेयरचैट पर चुटकुले, प्रेरणादायक शायरी, कटु वजन, भक्ति, भजन, माता-पिता कोट्स, पति-पत्नी की बहस, दर्द शायरी सब हैं. इसके अलावा चाणक्य नीति, पापा की परी, प्यारी बहना, घर की सजावट, पुरानी यादें, मेरी डायरी और मेरा शहर-गांव, पबजी गेम भी हैं.
आईपीएल सीजन में क्रिकेट पर सारी जानकारी दी जा रही है. भारतीय संस्कृति, बच्चों की प्यारी तस्वीरें, वेद पुराण, चाण्क्य नीति से लेकर बॉयज गैंग भी हैं. सोशल मीडिया पर बढ़ते फेमिनिज्म को भी लपक लिया गया है. साथ ही छोटा बिजनेस करने वालों को भी एक प्लैटफॉर्म दिया गया है. मेंहदी के डिजाइन से लेकर करवाचौथ पर ब्लाउज के डिजाइन भी.
शहीदों की खबरें हों या देश में बाढ़ की. यहां के यूजर्स फास्ट फॉरवर्ड हैं. इस ऐप पर करीब छह महीने तक नजर बनाए रखने पर कई नई चीजों का पता चला. नेशनलिस्ट कंटेंट भी खूब चलता है और मां के नाम से इमोशनल पोस्ट भी. मगर सबसे ज्यादा दर्द शायरी चलती है.
वहीं, यूट्यूब पर मात्र 16, 644 सबस्क्राइबर्स हैं. इन्सटाग्राम पर 34 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. ट्वीटर पर महज 1779 फॉलोअर्स हैं. फेसबुक पर करीब दस लाख लाइक्स हैं.
नब्बे के दशक का नास्टैलजिया भी और सास-बहू के सीरियल भी
फिल्मी दुनिया के बारे में जानना है तो किसी छोटे कस्बे के नाई और पार्लर की दुकान में लगे कैटरीना के पोस्टर्स की तरह यहां भी सारे फिल्मी सितारें हैं. एक सेक्शन उनके पोस्टर्स के लिए है तो एक सेक्शन नब्बे के दशक के नॉस्टैलजिया में जीने वालों के लिए है. वीडियो के जरिए सत्तर के दशक के गानों को भी कवर कर लिया है.
पिछले छह महीने से इंस्टाग्राम पर टीवी और बड़ें पर्दे के सितारे कह रहे थे कि अब वो अपनी लाइफ से जुड़ी बातें शेयरचैट पर शेयर किया करेंगे. देखते ही देखते शेयरचैट पर सोशल मीडिया स्टार्स आए. फिर बॉलिवुड स्टार आए. फिर राजनेता आए. अब राजनीतिक पार्टियों से लेकर न्यूज पोर्टल्स भी आ गए हैं. आज तक से लेकर गांव कनेक्शन, ऐबीपी न्यूज, लाइव हिंदुस्तान, दैनिक जागरण जैसे न्यूज पोर्टल्स ने वहां जगह बना ली है. सरकारी अभियानों के लिए भी ऑफिशियल शेयरचैट हैंडल बनाए गए हैं. जैसे स्किल इंडिया.
चुनावी दंगल, राजनीतिक व्यंग्य और रैलियां
लोकसभा चुनाव 2019 को देखते हुए चुनाव के लिए अलग से सेक्शन बना दिया है. इसके अंतर्गत राजनीतिक व्यंग्य, फिर एक बार मोदी सरकार, लोकसभा चुनाव 2019, पीएम मोदी की देहरादून में रैली, कांग्रेस की रैली, राहुल गांधी की रैली और महागठबंधन जैसी सब कैटेगरी भी हैं.
इन सब कैटेगरी में नाम के हिसाब से ही फोटोज और वीडियोज हैं. कंटेट में मुख्यत फनी वन लाइनर्स, चुटकुले, शायरी और फनी तस्वीरे हैं. महिला नेताओं को लेकर वाहियात चुटकुले भी हैं. लेकिन इन चुटकुलों को भी सेंसर नहीं किया गया है.
बीजेपी के शिवराज चौहान, बीजेपी छत्तीसगढ़, देवेंद्र फडनवीस, इंडियन यूथ कांग्रेस, आम आदमी पार्टी की आतिशी, योगी आदित्यनाथ, कन्हैया, और मनोज तिवारी खूब एक्टिव हैं. होमपेज पर लगभग हर सातवीं पोस्ट राजनीतिक है.
बीजेपी से लेकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी जैसी पार्टियां लगातार इस ऐप पर अपडेट्स करके जनता तक पहुंच रही हैं. नरेंद्र मोदी की फोटोज पर देश नहीं झुकने दूंगा लगाकर फैलाया जा रहा है तो राहुल गांधी की तस्वीरों के साथ भी उनके भाषण की लाइनें लगाकर फैलाई जा रही हैं.
शेयरचैट की टीम का कहना है कि इस ऐप का प्रभाव मध्यप्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में भी दिखा था. इस हिसाब से लोकसभा चुनाव में भी ये ऐप पहली बार वोट करने वाले युवाओं पर प्रभाव डाल सकती है.