नई दिल्लीः पाटीदार नेता हार्दिक पटेल गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले में तत्काल सुनवाई से मना कर दिया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई की मांग की थी, ताकि उनके 2019 लोकसभा चुनाव का रास्ता साफ हो सके. उन्होंने यह याचिका 2015 में एक दंगे के मामले में दोषी ठहराये जाने को लेकर दायर की है.
याचिका में पटेल ने मागं की थी कि नामांकन का अंतिम दिन गुरुवार है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करे और हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाये. जिसमें हाईकोर्ट ने पटेल को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराया है. कोर्ट ने पटेल को 2015 में विसपुर में दंगा मामले में दोषी करार दिया है.
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Lower court at Mehsana, Gujarat had sentenced him to 2 yrs' imprisonment in July last yr, for rioting & arson in 2015, during the Patidar quota protests. He had then approached Gujarat HC seeking suspension of his conviction so he can contest elections, but his plea was rejected. https://t.co/EwOptNblaS
— ANI (@ANI) April 2, 2019
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2015 में महसाणा में हुए दंगे को लेकर अदालत ने उन्हें दोषी पाया था और पिछले साल जुलाई में दो साल की सजा सुनाई थी. पटेल पाटीदारों के आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे थे. इसको लेकर वे गुजरात हाईकोर्ट पहुंचे थे, जिसमें उन्होंने अपने को दोषी ठहराने के मामले को रद्द करने की मांग की थी, ताकि वह 2019 लोकसभा चुनाव लड़ सकें. लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई थी. मामले में अदालत ने पीपुल एक्ट 1951 का हवाला देते फैसला सुनाया है कि हार्दिक पटेल आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
गौरतलब है कि पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की है. वह राजनीतिक जीवन की विधिवत शुरुआत करना चाहते थे लेकिन गुजरात उच्च न्यायालय ने उनकी चुनाव लड़ने की याचिका पर रोक लगा दी थी.