नई दिल्ली: पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी, वह राजनीतिक जीवन की विधिवत शुरुआत करना चाहते थे लेकिन राजनीतिक शुरुआत से पहले ही गुजरात उच्च न्यायालय ने इसपर विराम लगा दिया है. गुजरात उच्च न्यायालय ने उनकी चुनाव लड़ने की याचिका पर रोक लगा दी है. उच्च न्यायालय के इस फैसले के साथ ही उनके राजनीतिक करियर में फिलहाल विराम लगा दिया है. संभावना है कि हार्दिक सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे.
हार्दिक ने अदालत में याचिका दायर कर लोकसभा चुनाव लड़ने की राह आसान करने की गुहार लगाई थी. बता दें कि 2015 में महसाणा में हुए दंगे में अदालत ने उन्हें दोषी पाया था और दो साल की सजा सुनाई थी. पीपुल एक्ट 1951 का हवाला देते हुए अदालत ने फैसला सुनाया है कि हार्दिक पटेल आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
Gujarat High court rejects Congress leader Hardik Patel's plea seeking suspension of his conviction in a rioting case of 2015 in Mehsana. As per the Representation of the People Act, 1951, Hardik Patel won't be able to contest the upcoming Lok Sabha Election due to his conviction pic.twitter.com/qmiuGwHMa3
— ANI (@ANI) March 29, 2019
बता दें कि गुजरात में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन करने में महज छह दिन का ही समय बचा है. हार्दिक पटेल कांग्रेस पार्टी की तरफ से गुजरात से ही चुनाव लड़ने की मंशा जताई थी. गुजरात में पाटीदार आंदोलन शुरू होने के समय हुए दंगे के मामले में हार्दिक को दोषी पाया गया था और अदालत ने उन्हें दो साल की सज़ा सुनाई थी.
गुजरात में लोकसभा चुनावों के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 4 अप्रैल है वहां तीसरे चरण में मतदान होने हैं. हार्दिक पटेल ने पिछले दिनों बताया था कि अगर उनको हाईकोर्ट से शीघ्र कोई आदेश नहीं मिलता है, तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे लेकिन अब जब उच्च न्यायालय ने आखिरी समय में फैसला सुनाया है.
हार्दिक को राज्य के मेहसाणा जिले के विसनगर में 23 जुलाई 2015 को एक आरक्षण रैली के दौरान हुईं हिंसा और तत्कालीन स्थानीय भाजपा विधायक रिषिकेश पटेल के कार्यालय पर हमले और तोड़फोड़ के मामले में पिछले साल 25 जुलाई को स्थानीय अदालत ने दो साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई थी. नियम के मुताबिक दो साल या उससे अधिक की सजा वाले लो चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. यही वजह है कि हार्दिक ने आठ मार्च को एक बार फिर से गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया था.