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Monday, 4 November, 2024
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पूर्व सैनिकों के खत लिखने की बात राष्ट्रपति भवन ने खारिज की, पूर्व जनरलों ने बताया फर्जी

पत्र में 150 से ज्यादा पूर्व सैनकों की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सशस्त्र बलों के राजनीतिक मकसद से इस्तेमाल पर नाराजगी जाहिर करते हुए पत्र लिखने की बात है.

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नई दिल्लीः सोशल मीडिया पर शुक्रवार को एक खत वायरल हो रहा है, जिसे पूर्व सैनिकों द्वारा राष्ट्रपित को लिखा बतायाा जा रहा है. यह खत कितना सही इसकी सच्चाई अभी तक साफ नहीं है. इस खत को राष्ट्रपति भवन के साथ पूर्व जनरलों ने सिरे से खारिज कर दिया है. जबकि एक अन्य जनरल ने माना है कि यह खत सही है.

गौरतलब है कि शुक्रवार को एक खत सोशल मीडिया वायरल दिखा. इसमें 150 से भी ज्यादा पूर्व सैनिकों की राष्ट्रपति को मंगलवार को पत्र लिखने की बात है. जिस पर बवााल मचना शुरू हो गया है.

वहीं जनरल एसएफ रोडरीगस ने कहा कि वह राज्य के साधन हैं, हमने अपनी सेवा में जो भी सरकार ने आदेश दिया उसे किया है. हम अराजनैतिक हैं. कोई कुछ भी कह सकता है और इसे फेक न्यूज के रूप में बेच देता है. उन्हें नहीं पता कि तथाकथित पत्र किसने लिखा है.

वहीं एनसी सूरी ने एएनआई से कहा कि इस मामले को खत्म करने की बात की है और कहा है उनसे इस तरह के किसी भी पत्र के लिए सहमति नहीं ली गई थी. वह जो भी पत्र में लिखा है उससे सहमत नहीं हैं.

वहीं मेजर जनरल हर्ष कक्कर (राष्ट्रपति को कथित खत लिखने वाली लिस्ट में 31वें नंबर पर हैं) उन्होंने कहा है, ‘हां, मैंने पत्र में हस्ताक्षरकर्ता होने के लिए अपनी सहमति दी थी. मैंने अपनी सहमति इसके कंटेंट को जानने के बाद दी थी.

गौरतलब है 8 पूर्व सेवाओं के प्रमुखों और 148 अन्य सैन्य प्रमुखों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सशस्त्र बलों के राजनीतिक मकसद से इस्तेमाल पर नाराजगी जाहिर की है. पत्र पर पूर्व आर्मी प्रमुखों, रिटायर्ड जनरल एस एफ रोडरीगिस,  रिटा. जनरल शंकर रॉय चौधरी और रिटा. जनरल दीपक कपूर, पूर्व चीफ एयर मार्शल रिटा. एनसी सूरी के हस्ताक्षर हैं.

तीन पूर्व नेवी प्रमुखों में रिटा. एल रामदास, रिटा. एडमिरल अरुण प्रकाश, रिटा. एडमिरल मेहता और रिटा. एडमिरल विष्णु भागवत ने भी पत्र में हस्ताक्षर किया है, जिसे मंगलवार को रामनाथ कोविंद को भेजा गया है.

पूर्व सैनिकों ने पत्र में लिखा है, ‘हम कहना चाहते हैं, सर, राजनीतिक नेताओं द्वारा सैन्य ऑपरेशनों जैसे- सीमा पार सैन्य कार्रवाइयों की क्रेडिट लेना और यहां तक कि यह दावा करना कि सैन्य बल ‘मोदीजी की सेना’ है यह आसाधरण है और पूरी तरह अस्वीकार्य है. पूर्व सैनिकों ने कहा कि यह सेवारत और रिटायर्ड सैनिकों दोनों के लिए चिंता और परेशानी का विषय है कि उन्हें राजनीतिक एजेंडे तहत इस्तेमाल किया जा रहा है.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी की एक चुनावी रैली में सशस्त्र बलों को ‘मोदी जी की सेना’ कहा था, जिस पर विपक्षी दल तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. यहां तक कि चुनाव आयोग ने भी उनकी टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

पत्र में पूर्व सैनिकों ने चुनावी प्रचार में भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन वर्तमान और दूसरे सैनिकों की तस्वीरों के इस्तेमाल पर भी निराशा जताई है.

(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट्स के साथ)

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