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Thursday, 25 April, 2024
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चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों के लिए लगाई चुनाव चिन्हों की भरमार

चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए चुनाव चिन्ह 2014 के लोकसभा चुनाव में दिए गए चिन्हों से काफी भिन्न हैं.

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नई दिल्ली: डिजिटल युग के इस बदलते दौर में भारत निर्वाचन आयोग ने भी कमर कस ली है. आयोग नए-नए तरह के चुनाव चिन्ह मैदान में लाया है. जिसे इस बार के लोकसभा चुनाव में शामिल होने वाले दल अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह बना सकते हैं. इसमें रोबोट, कंप्यूटर, माउस, स्विचबोर्ड, लैपटॉप, पेन ड्राइव, घड़ी, टीवी रिमोट, सीसीटीवी कैमरा और टोस्टर शामिल है.

ये फ्री चुनाव चिन्ह चुनाव में हिस्सा लेने जा रही नई पार्टियों, निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा प्रयोग में लाए जा सकते हैं. इसके अलावा वो दल जो अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह बदलना चाहते हैं वो भी इन चुनाव चिन्ह को चुन सकते हैं.

चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए चुनाव चिन्ह 2014 के लोकसभा चुनाव में दिए गए  चुनाव चिन्हों से काफी भिन्न हैं. पिछले बार के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के पास नेल कटर, एक गैस स्टोव, चेस बोर्ड और ब्लैक बोर्ड जैसे चुनाव चिन्ह मौजूद थे.

चुनाव चिन्ह लोगों को जोड़ता है

चुनाव आयोग ने दिप्रिंट को बताया कि चुनाव चिन्ह इस प्रकार से चुना जाता है जिससे लोग खुद को जो़ड़ सकें.

चुनाव आयोग के एक बड़े अधिकारी ने बताया, ‘जब लोग वोट देने जाते हैं तो वे उम्मीदवारों के नाम के सामने बने चुनाव चिन्ह को देखकर खुद को कनेक्ट करते हैं. इसलिए आप कह सकते हैं कि लोगों के बदलते लाइफ स्टाइल और आकांक्षाओं को देखते हुए चुनाव चिन्ह भी समय के साथ बदले जा रहे.’

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‘हमने चुनाव चिन्ह के रूप में रोबोट, कंप्यूटर, माउस, स्विचबोर्ड, लैपटॉप, पेन ड्राइव जैसी चीज़ों को इस बार शामिल किया है. जो कि लोगों की अकांक्षाओं को दर्शाता हैं.’ इनके अलावा यूनिवर्सल अपील करने वाले अन्य चिन्ह जैसे गन्ना किसान, जैकफ्रूट, केतली भी इसमें शामिल हैं.’

आयोग के मुताबिक इस बार के चुनाव में 76 गैर-चिन्हित पार्टियों को चुनाव चिन्ह दिया जा चुका है. इसमें वैली से कश्मीर डेवलपमेंट फ्रंट (जम्मू व कश्मीर) है जिसने लैपटॉप को अपना चिन्ह बनाया है, इसके अलावा मजदूरों के मुद्दों के लिए संघर्ष करने वाली कर्नाटक कर्मिकारा पक्ष ने ब्रेड और टोस्टर को अपना चुनाव चिन्ह बनाया है.

पार्टियां विशेष चुनाव चिन्ह क्यों चुनती हैं

पार्टियों द्वारा चुनाव चिन्ह चुनने में कई बातों का ध्यान रखा जाता है. वे उन चिन्हों को ही अपना चुनाव चिन्ह बनाती हैं जो उनकी पार्टी की विचारधारा और कोर एजेंडा को दर्शाती हैं. लेकिन फिर भी इसके लिए उन्हें अपने भाग्य पर भरोसा करना होता है. कुछ दिनों पहले आईआईटियन द्वारा बनाई गई बहुजन आजाद पार्टी के अध्यक्ष नवीन कुमार ने कहा, ‘हमने शिक्षा को दर्शाने के लिए स्लेट को अपना चुनाव चिन्ह बनाया है.’

वे आगे बताते हैं, ‘लैपटॉप और कंपयूटर भी शिक्षा को दर्शाते हैं लेकिन हमने स्लेट को चुना क्योंकि हम ग्रामीण भारत को टार्गेट कर रहे हैं और उन लोगों के लिए लैपटॉप कोई सेंस नहीं बनाता है.’

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता प्रमोद कुमार सुमन दिप्रिंट से बातचीत में कहते हैं, ‘सिलिंग फैन को चुनाव चिन्ह चुनने के पीछे का मकसद है कि जिस तरह से सिलिंग फैन लोगों को गर्मी से राहत देता है, उसी तरह हम भी उस पार्टी के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं कि लोगों को राहत पहुंचाएगी.’

‘ए कबार जब हम चिन्ह को स्वीकारते हैं और जीतने लगते हैं तो लोग हमारी पार्टी से खुद को जोड़ने लगेंगे और उसके साथ बने रहना चाहेंगे.’

चुनाव चिन्ह के प्रकार

चुनाव आयोग द्वारा यहां तीन प्रकार के चुनाव चिन्ह बांटे गए हैं. एक राष्ट्रीय दलों के लिए, जो कि फिक्स्ड है. जैसे कि भाजपा का कमल का फूल, कांग्रेस का हाथ, बसपा का हाथी, इत्यादि. किसी भी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने के लिए उसे कम से कम चार राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में 6 फीसदी वैध वोटों को प्राप्त करना होता है और वो किसी भी राज्य से कम से कम चार लोकसभा सीटें जीती हो. इसके अलावा पार्टी को किन्हीं चार राज्यों में राज्य पार्टी का भी दर्जा हासिल करना होता है.

फिक्स्ड चुनाव चिन्ह क्षेत्रीय दलों को भी दिए गए हैं. जैसे आम आदमी पार्टी को ‘झाड़ू’, त्रिणमूल कांग्रेस पार्टी का चिन्ह फूल और घास और समाजवादी पार्टी का साइकिल. किसी भी पार्टी को क्षेत्रिय दल पर पहचान बनाने के लिए उसे कम से कम 6 फीसदी वैध वोट प्राप्त करना होता है और वो विधानसभा चुनाव में दो सीट और लोकसभा सीट में कम से कम एक सीट जीती हो. नए राजनीतिक दल के केस में उसे चुनाव लड़ने की शर्तों को पूरा करना होगा. जिसमें 10 फीसदी सीटों पर लड़ने की बात शामिल है. अगर वो इन शर्तों को पूरा करती है तो चुनाव आयोग द्वारा उसे चुनाव चिन्ह दे दिया दिया जाता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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