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Friday, 26 April, 2024
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‘मोदी अपने झूठ के जाल में फंस गए हैं और अब वह उसमें डूब रहे हैं’

दिप्रिंट को दिए गए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट और अन्य संस्थानों पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बनाए जा रहे दवाब के बारे में बात की.

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चंडीगढ़: ‘सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग और देश की अन्य संस्थाओं पर नरेंद्र मोदी की ‘छाप’ पड़ गई है. चुनाव पर नजर रखने वाले लोग इस मामले में थोड़ा सा पक्षपात कर रहे हैं. इसका कारण प्रधानमंत्री की तरफ से दिया गया ‘अत्याधिक प्रेशर’ है. दिप्रिंट को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कही.

राहुल गांधी ने इस बातचीत में त्रिशंकु लोकसभा की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने इस बात का दावा किया कि लोग मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से ‘थोड़ा डरे’ हुए हैं. और इन दोनों लोगों के खिलाफ ‘गुस्से’ के साथ ‘भय’ भी है जिसे मतदाता खुल के साझा नहीं कर पा रहे हैं. कांग्रेस चुनाव आयोग से भाजपा नेताओं, विशेष रूप से मोदी द्वारा किए गए आचार संहिता उल्लंघन के बारे में लगातार शिकायत कर रही है, जिन्हें लगभग आधा दर्जन उदाहरणों में आयोग द्वारा क्लीन चिट दी गई है.

शनिवार को कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जहां तक ​​बीजेपी की बात है तो आदर्श आचार संहिता ‘मोदी आचार संहिता’ में बदल गई है.

राहुल गांधी ने कहा,’यह दवाब है. यह नरेंद्र मोदी की छाप है. आप उस छाप को सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग और योजना आयोग पर भी देख सकते हैं.’

‘मैं एकदम खुलकर बोल रहा हूं. मुझे ये बोलना अच्छा नहीं लगता है. मैं यह कहते हुए खुश नहीं हूं लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मैं उनसे (चुनाव आयोग) निष्पक्षता की उम्मीद नहीं कर रहा हूं. मैं समझता हूं कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण बहुत दबाव में हैं और थोड़े पक्षपाती तरीके से कार्य कर रहे हैं.’

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48 वर्षीय नेता ने कहा, ‘आप यह असर देश के सभी संस्थानों पर देख सकते हैं. नरेंद्र मोदी स्वतंत्र संस्थानों में विश्वास नहीं करते हैं, हमारे इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीश सामने आए और उन्होंने कहा- हम भारत के लोगों से न्याय मांग रहे हैं. यह अकल्पनीय है. हमारे इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. यह नरेंद्र मोदी की शैली है. हम चुनाव आयोग से निष्पक्षता की उम्मीद नहीं करते हैं.’

‘कोई त्रिशंकु संसद नहीं, मोदी के खिलाफ मजबूत अंडरकरंट’

कांग्रेस अध्यक्ष ने त्रिशंकु संसद की संभावना से इंकार किया, जिसमें दावा किया गया कि लोकसभा चुनाव ‘एकतरफा’ है क्योंकि मोदी के खिलाफ ‘बहुत मजबूत अंडरकरंट’ है. लोगों में गुस्से के कारण एक अंडरकरेंट बन रहा है और मुझे लगता है कि लोगों को डर लग रहा है. इसलिए, लोग प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी के अध्यक्ष से थोड़ा डरते हैं. वे अभी तक खुले तौर पर व्यक्त नहीं कर रहे हैं, लेकिन एक अंडरकरंट है. इनका सफाया होने जा रहा है.

‘मैंने पहले ही कहा है कि जनता जनार्दन है. मैं उस आदेश को सुनता हूं जो वे देते हैं. 23 मई को वे जो कहेंगे, मैं मानूंगा,

हालांकि, पार्टी प्रमुख को कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं के बारे में ‘बहुत अच्छा’ महसूस हो रहा है, लेकिन वो किसी भी नंबर गेम में पड़ना नहीं चाहेंगे. ‘बहुत अच्छा लग रहा है. मैं नंबर में नहीं पड़ता, मैं केवल महसूस करता हूं और मुझे बहुत अच्छी फीलिंग्स आ रही है.’

तो, मुझे लगता है कि यह काफी सकारात्मक है. प्रधानमंत्री से लोगों के निराशा है. नौकरी का वादें पर वे बहुत बुरी तरह से विफल रहे हैं, किसानों का मुद्दा, भ्रष्टाचार का मुद्दा और समग्र रूप से अर्थव्यवस्था की स्थिति. ये सब मुख्य मुद्दा है. मुझे लगता है कि सभी ने नोटबंदी के दर्द, जीएसटी के दर्द को कम करके आंका. यहां तक कि मीडिया में मेरे दोस्तों ने भी.’


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बेरोजगारी चुनावों को प्रभावित करेगा, बालाकोट नहीं

गांधी ने यह भी कहा कि इस बार के चुनाव में बालाकोट एयर स्ट्राइक नहीं बल्कि बेरोजगारी अहम प्रभाव डालेगा. मैंने 100 से ज्यादा मीटिंग की है. सब के दिमाग में एक ही मुद्दा है और वो है बेरोजगारी का.

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘आज भारत में कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. मुद्दा बेरोजगारी है और लोग पूछ रहे हैं कि अगर चीन 24 घंटे में 550,000 नौकरियां पैदा कर सकता है, तो भारत हर 24 घंटे में 27,000 नौकरियां क्यों खो रहा है? भारत अपनी सारी क्षमता और ऊर्जा के साथ पिछले 45 वर्षों में बेरोजगारी के सबसे चरम पर क्यों है? यहां कुछ तो है जो गलत हो रहा है.’

‘और इस पर भी प्रधानमंत्री जवाब नहीं दे रहे हैं. और अगर आप प्रधानमंत्री के भाषणों को सुनते हैं, तो वह बेरोजगारी के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, वह अपनी विफलता के बारे में बात नहीं कर रहे हैं. वह किसी योजना के बारे में बात नहीं कर रहे हैं और न ही किसानों के बारे में ही बात कर रहे हैं.’

‘मनमोहन सिंह सरकार में कोई हस्तक्षेप नहीं’

इस सवाल के जवाब में कि क्या मनमोहन सिंह सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने के उनके निर्णय पर उन्हें पछतावा है. क्योंकि भाजपा के नेता अक्सर मोदी सरकार के प्रशासन चलाने की क्षमता के खिलाफ राहुल की अनुभवहीनता के बारे में बात करते हैं. इसपर गांधी ने नकारात्मक जवाब दिया.

गांधी ने कहा, ‘नहीं. मुझे ऐसा नहीं लगता (क्या उन्हें संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए)-2 का हिस्सा होना चाहिए था). मुझे ऐसा नहीं लगता. मैं अनुभवहीन नहीं हूं. मुझे ऐसा नहीं लगता. मुझे लगता है कि यूपीए-2 मनमोहन सिंह जी थे, यूपीए-1 और यूपीए-2 मनमोहन सिंह का विजन था. और उसका हिस्सा होना मेरे लिए सही नहीं था.’

पार्टी प्रमुख ने कहा, ‘मुझे हमेशा लगता है कि मैंने मनमोहन सिंह जी से कहा था कि वह सरकार का नेतृत्व करने जा रहे हैं और मैं किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं करने जा रहा हूं. और मैं अपनी बात पर कायम रहा.’


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आईएनएस विराट विवाद पर

गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झूठा आरोप लगाया था कि उनके दिवंगत पिता राजीव गांधी और मां सोनिया गांधी ने ‘छुट्टी’ के दौरान नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विराट को अपनी ‘निजी टैक्सी’ के रूप में इस्तेमाल किया था.

‘मोदी फंस गए हैं. वह झूठ फैलाने के जाल में फंस गए हैं और अब वह उसमें डूब रहे हैं. यह स्पष्ट है कि एक विपक्षी नेता के रूप में मैं उससे लड़ रहा हूं, और हम उन्हें हराने जा रहे हैं. वह एक इंसान है. मुझे प्रधानमंत्री के लिए बुरा लग रहा है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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