नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी में मंथन का दौर शुरु हो गया है. शनिवार को पार्टी ने पहली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में अध्यक्ष राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की, जिसे सदस्यों ने सिरे से खारिज़ कर दिया.
कमेटी में बैठे सदस्यों ने राहुल से कहा कि हार की जिम्मेदारी हम सभी की है और इसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं. हम आगे एकबार फिर मिलकर काम करेंगे. जानकारी के अनुसार वर्किंग कमेटी की बैठक से पहले सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह से अलग-अलग मुलाकात कर बात भी की थी. इस्तीफे की पेशकश के बाद पूर्व पीएम डॉ.मनमोहन सिंह ने राहुल से कहा इस्तीफे की जरुरत नहीं है.उन्होंने कहा हार जीत लगी रहती है.
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राहुल के इस्तीफे की बात गलत है. वर्किंग कमेटी की बैठक अभी चल रही है.
राहुल से की पूरी टीम में बदलाव की मांग
मीटिंग के दौरान सदस्यों ने पार्टी अध्यक्ष से कहा कि वह चाहें तो पूरी टीम में बदलाव करें. अपने साथ नई टीम में युवा नेताओं को रखें जो जमीन से जुड़े हुए हैं. वहीं सदस्यों ने गैर सियासी लोगों को पार्टी अध्यक्ष को टीम से दूर रखने की सलाह भी दी है. इस बैठक में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह समेत राज्यों के भी शामिल हैं.
इसबार मिली 52 सीटें, नेता प्रतिपक्ष का पद फिर संकट में
कांग्रेस पार्टी को 2014 के चुनाव में केवल 44 सीटें हांसिल हुई थीं. वहीं पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनावों में केवल 52 सीटें ही हासिल हुई हैं. पार्टी को इस चुनावों में भी विपक्षी दल के नेता का दर्जा पाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. कांग्रेस को इसके लिए 54 सीटें चाहिए. वर्किंग कमेटी में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी की हार के कारणों की चर्चा होगी. पार्टी ने हाल में इन राज्यों में अपनी सरकारें बनाई हैं.
हार की समीक्षा के लिए पार्टी एक कमेटी का गठन करने पर भी विचार कर रही है. इसके अलावा बैठक में तीन राजनीतिक प्रस्ताव लाने पर भी चर्चा होगी. वर्किंग कमेटी में चुनाव प्रचार अभियान को लेकर चर्चा होगी. इसके अलावा जमीन से जुड़े मुद्दे, किसानों के मुद्दे और बेरोजगारी के मुद्दों पर भुना नहीं पाई. पार्टी के नेताओं द्वारा दिए गए विवादित बयानों से पार्टी को हुए नुकसान के बारें में भी चर्चा हो सकती है.
कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार पहले से ही कयास लगाया जा रहा था कि वर्किंग कमेटी में राहुल अपने इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं. लेकिन यह भी विदित था कि पार्टी के सदस्यों के द्वारा उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया जाएगा. पार्टी का तर्क है कि राहुल के नेतृत्व में ही पार्टी काम करेगी. वहीं आगामी चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पूरी ताकत के साथ उनके नेतृत्व में उतरेगी.
कर्नाटक, राजस्थान और मध्यप्रदेश में में जारी सियासी उठापटक भी पार्टी के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है. बता दें कि भाजपा ने कर्नाटक में 28 में से 25 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है.
करारी हार के बाद इस्तीफे का दौर पार्टी में चल रहा है
उत्तर प्रदेश, कर्नाटक सहित कई राज्यों के पार्टी प्रमुखों के इस्तीफों का दौर भी शुरु हो गया है. यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने अपना इस्तीफा राहुल गांधी को भेजे जाने की खबर है. वहीं उन्होंने राज्य में हुई हार का खुद को जिम्मेदार भी बताया है. इसके अलावा ओडिशा के प्रदेश अध्यक्ष निरंजन पटनायक भी अपना इस्तीफा आलाकमान हो भेज दिया है.
पार्टी के अंदर खाने इस पर चर्चा जोरों पर है कि अगर राहुल अपने पद से इस्तीफा देते है तो पार्टी की कमान कौन संभालेगा. पार्टी के कई बड़े नेता भी इस चुनाव में हार का सामना कर चुके है.