गाज़ीपुर: लोकसभा (80) और विधानसभा (403) सीटों के लिहाज़ से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद उनका सूबे का सीएम बनना लगभग तय था लेकिन योगी आदित्यनाथ के दबाव से अखिरी क्षण में पूरा खेल बदल गया. बावजूद इसके पूर्वांचल की राजनीति में सिन्हा का कद बेहद बड़ा है और इस लोकसभा चुनाव में गाज़ीपुर से उनका मुक़ाबला महागठबंधन के अफज़ाल अंसारी से है. अंसारी राज्य के बाहुबली मुख़्तार अंसारी के भाई हैं. सिन्हा चुनाव प्रचार में लगे हैं और उनकी एक ऐसी ही प्रचार सभा में दिप्रिंट ने उनसे बातचीत की.
मनोज सिन्हा के क्षेत्र में घूमने पर दिप्रिंट को एक बात सबने कही कि इलाके में काम तो हुआ है. इसी पर जब दिप्रिंट ने सिन्हा को बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने भी जनता के सामने अपने काम की दुहाई दी थी, लेकिन वो हार गए. जब सिन्हा से पूछा गया कि क्या जनता काम के नाम पर वोट देती है तो उन्होंने कहा, ‘मैं पूरी तरह से विश्वास के साथ कहना चाहता हूं कि लोग विकास के नाम पर वोट करेंगे.’
वहीं, अखिलेश के विकास को सिन्हा ने अख़बारी और कागज़ी बताकर ख़ारिज कर दिया.
सिन्हा ने ये भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी ‘सबका साथ-सबका विकास’ में यकीन करती है. वो ये भी कहते हैं कि कुछ ख़ास लोगों के विकास से समाज में दरार पैदा होती है. इस बात के साथ वो इशारों इशारों में विपक्ष की पहचान आधारित राजनीति पर हमला करते हैं. महागठबंधन को लेकर सिन्हा करते हैं कि जाति और दल आधारित सारी दीवारें टूट जाएंगी. वो कहते हैं कि जहां तक बीते उपचुनाव में महागठबंधन की जीत की बात है तो ऐसा आख़िरी चुनाव कैराना में हुआ था जिसमें भाजपा महज़ 3.8 प्रतिशत वोटों से हारी थी. सिन्हा का मानना है, ‘तब केंद्र की सरकार बनाने का चुनाव नहीं हो रहा था, मोदी को पीएम बनाने का चुनाव नहीं हो रहा था. इन बातों पर भाजपा को 5% ज़्यादा वोट तो ऐसे ही मिल जाएंगे.’
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सिन्हा के क्षेत्र में कांग्रेस द्वारा महासचिव बनाई गई प्रियंका गांधी के बारे में सिन्हा कहते हैं कि वो सिर्फ मीडिया के लिए तुरूप का इक्का हैं. वो कहते हैं कि प्रियंका अगर अभी से काम करेंगी तो 2024 में ऐसा हो सकता है कि उन्हें फायदा मिले. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल पर नरेंद्र मोदी की सरकार को जमकर घेरने की कोशिश की है और ‘चौकीदार चोर है’ के नारे को एक आम नारा बना दिया.
जब सिन्हा से पूछा गया कि क्या इस नारे का ज़मीन पर भी असर है तो कहते हैं, ‘राहुल गांधी एक झूठ बार-बार बोल रहे हैं और ज़ोर से बोल रहे हैं.’ सिन्हा ये भी बताते हैं कि अभी हाल ही में अपने इन आरोपों के लिए राहुल को कोर्ट में सफाई देनी पड़ी थी. सिन्हा कहते हैं कि जनता का मानना है कि चौकीदार प्योर है और उसकी जीत श्योर है.
ये बातचीत एक जनसभा के दौरान हो रही थी और कैमरे पर हो रही बातचीत के दौरान जनता ने उन्हें घेर रखा था. उनके कुछ जवाबों पर तालियां भी बज रही थीं. वहीं, दिप्रिंट ने एक बात और पाई कि भोजपुरी में भाषण दे रहे सिन्हा इतनी सरल तरीके से अपनी बात कह रहे थे जिससे ऐसा महसूस हो रहा था कि एक-एक व्यक्ति से सीधा संवाद स्थापित कर रहे हों. अपने भाषण में जिस आसानी से वो उज्जवला से लेकर सीएफएल बल्ब बांटे जाने की बातों को समझा रहे थे वैसे सरलता से बात रखने की क्षमता बेहद कम नेताओं में होती है. अकसर नेताओं के भाषण नाटकीय हो जाते हैं.
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सिन्हा से जब पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी ने राम मंदिर के मुद्दे को बीच में ही छोड़ दिया तो वो कहते हैं कि राम मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का सवाल है. वो कहते हैं कि पार्टी का दृढ़ मत है कि जहां राम का जन्म हुआ था वहीं मंदिर बनाना चाहिए. वो देश की सर्वोच्च न्यायालय से करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं का ख़्याल रखते हुए जल्द से जल्द फैसला भी चाहते हैं.
बता दें कि पिछले चुनाव में भाजपा औप सहयोगी दलों ने उत्तर प्रदेश में करिश्मा करते हुए 73 सीटें जीती थीं. लेकिन ऐसा बताया जा रहा है कि पिछले चुनाव में ऐसे नतीजे मोदी लहर की वजह से आए थे. 2019 के आम चुनाव से हुए ज़्यादातर सर्वे इस ओर इशारा करते हैं कि भाजपा को इस राज्य में पिछली बार के मुकाबले आधी से ज़्यादा सीटों का नुकसान हो सकता है. ऐसे में मनोज सिंहा की राह कोई बहुत आसान नहीं होने वाली