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Sunday, 22 December, 2024
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लोकसभा चुनाव रिजल्टः कर्नाटक के अलावा तेलंगाना में भी भाजपा की दस्तक

टीआरएस का ओवैसी के साथ के कारण खुलकर भाजपा का साथ देना संभव नहीं है. पार्टी ने लोकसभा चुनाव में किसी राष्ट्रीय पार्टी से गठबंधन नहीं किया है.

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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में तेलंगाना में जहां भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया है वहीं सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं राज्य की 17 सीटों में से टीआरएस 9 पर तो भाजपा चार सीटों पर आगे है. कांग्रेस ने भी पहले से बेहतर प्रदर्शन करते हुए चार सीटों पर बढ़त बनाई है. टीआरएस राज्य में क्लीन स्वीप की उम्मीद लगाए बैठी थी.

टीआरएस ने केंद्र में सरकार गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद लगाए बैठी थी, लेकिन वह सिर्फ आठ सीटों पर आगे चल रही है, जबकि उसकी सहयोगी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के उम्मीदवार असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद में आगे चल रहे हैं.

टीआरएस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता निजामाबाद में पीछे चल रही हैं, जिस पर उन्होंने 2014 में जीत दर्ज कराई थी. पार्टी के वरिष्ठ नेता विनोद कुमार भी करीमनगर से पीछे चल रहे हैं.
टीआरएस ने दिसंबर में विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज कराई थी, और उसे भरोसा था कि वह 16 सीटों पर जीत दर्ज कराएगी. उसने हैदराबाद सीट एआईएमआईएम के लिए छोड़ दी थी. रुझानों से पता चलता है कि भाजपा और कांग्रेस चार-चार सीटों पर आगे चल रही हैं. दोनों पार्टियों ने टीआरएस के वोट में सेंध लगाई है.

119 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में टीआरएस ने 88 सीटें जीती थी. पिछले दो महीनों में 11 कांग्रेस विधायकों ने टीआरएस का दामन थाम लिया था, जिसके बाद विधानसभा में उसकी संख्या 100 से ऊपर हो गई.

केसीआर ने उम्मीद लगा रखी थी कि उनकी पार्टी टीआरएस केंद्र में गैर भाजपा और गैर कांग्रेस सरकार के गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. उनकी पार्टी के नेता उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार के रूप में पेश कर रहे थे.
केसीआर ने पिछले साल संघीय मोर्चे का प्रस्ताव रखा था और उन्होंने विभिन्न गैर राजग दलों के नेताओं के साथ कई बैठकें की थी. केंद्र में एक प्रमुख भूमिका निभाने के उद्देश्य से केसीआर ने अपने बेटे के.टी. रामा राव को टीआरएस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था.

2014 में टीआरएस ने 11 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस ने दो सीटें जीती थी. भाजपा, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी और एआईएमआईएम ने एक-एक सीट जीती थी. तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख एन उत्तम कुमार रेड्डी ने नलगोंडा सीट पर 18,370 मतों की बढ़त बनाई है. लोक सभा चुनावों की पूर्व संध्या पर टीआरएस से कांग्रेस में शामिल होने वाले सांसद कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी, चेवेल्ला सीट से अपने प्रतिद्वंद्वी और सत्तारूढ़ दल के रंजीत रेड्डी पर 12,700 मतों से आगे हैं.

भाजपा उम्मीदवार बी संजय, दूसरे दौर की मतगणना के बाद करीमनगर सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और मौजूदा टीआरएस सांसद बी विनोद कुमार के खिलाफ 74.198 वोटों से आगे बने हुये हैं. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि भाजपा के सोयम बापूराव, आदिलाबाद सीट से अपने टीआरएस प्रतिद्वंद्वी गोधाम नागेश के मुकाबले 51,721 वोटों से आगे चल रहे थे.


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वहीं केसीआर ने राज्य की जनता को अपनी लोक लुभावन नीतियों से मुरीद बना लिया है. विधानसभा चुनाव में किसानों के लिए रयथू बंधु योजना के सहारे टीआरएस ने जीत हासिल की. उनकी पार्टी ने महाकुटमी यानि कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को हराया. इसमें तेलुगु देसम पार्टी, तेलंगाना जन समिति और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी शामिल थीं.

राज्य में चर्चा इस बात पर है कि टीआरएस जीत के बाद यूपीए का साथ देगी या एनडीए का. या फिर वे स्वयं को प्रधानमंत्री पद का दावेदार भी समझते हैं. टीआरएस का गठबंधन असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्‍तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के साथ है. ओवैसी हैदराबाद से चौथी बार सांसद बनने के लिए लड़ रहे हैं. राज्य में 12 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है.


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ओवैसी के साथ के कारण टीआरएस के लिए खुलकर भाजपा का साथ देना संभव नहीं है. इसलिए चुनाव के पहले उन्होंने भाजपा से कोई गठबंधन नहीं किया. राज्य में तेलुगु देशम पार्टी ने अपनी ज़मीन खो दी है और कांग्रेस जिसे मुख्य रूप से रेड्डी समुदाय की पार्टी कहा जाता है, दल बदलुओं की वजह से कमज़ोर पड़ गई है. वहीं भाजपा वहां अपनी ज़मीन बनाने में लगी है.

हैदराबाद के धन बल से केसीआर अपनी लोकलुभावन नीतियां चला पा रहे हैं पर ये खज़ाना भी अंतहीन नहीं है. इसलिए केंद्र में पार्टी के साथ वो अच्छे रिश्ते चाहेंगे.

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