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Wednesday, 20 November, 2024
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उपचुनावों में हार का अर्थ है, शिवराज सिंह चौहान के लिए मध्य प्रदेश में गम्भीर संकट

वरिष्ठ बीजेपी नेताओं का मानना है कि चौहान, जो कि इस वर्ष के चुनावों में सत्ता-विरोधी लहर से जूझ रहे हैं, को केन्द्रीय नेतृत्व साईडलाइन कर देगा.

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नई दिल्लीः ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश में विधनसभा उपचुनावों में दो सीटें- मुंगावली व कोलारस जीतने में असफल रही बीजेपी प्रदेश की राजनीति में ज्यादा महत्वपूर्ण रोल राष्ट्रीय नेतृत्व को देगी, तथा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का रोल कम महत्वपूर्ण रहेगा.

वरिष्ठ बीजेपी नेताओं का कहना है कि आशा है कि प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी व पार्टी प्रमुख अमित शाह, राज्य में इस वर्ष होने वाले विधनसभा चुनावों से पहले ही राज्य ईकाई का भार, चौहान व उनके समर्थकों से हथिया लेंगे.

चौहान मोदी से बीजेपी मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में बुधवार को मिले और उन्हें अपनी सरकार की पिछले 15 सालों में मध्य प्रदेश में उपलब्ध्यिों के बारे में बताया. वरिष्ठ पार्टी नेताओं के अनुसार, उपचुनावी हार ने, उनकी एक समय पर अविवादित सत्ता, को कमजोर कर दिया है.

उनका नाम पार्टी हलकों में पहले से ही उन मुख्यमंत्रियों में उभर कर सामने आया है, जिन्हें विधानसभा चुनावों से पहले बदल दिए जाने की आाशंका है.

चौहान की ताकत परिणाम हासिल नहीं कर सकती

दोनो सीटों के उपचुनाव, पहले इन सीटों पर कांग्रेस जीती थी और यह सीटें कांग्रेस के ससंद सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के चुनाव क्षेत्रा ‘गुना’ में पड़ती हैं, जनता के मूड को दर्शाती है. चौहान व सिंधिया दोनों ने इस अभियान को निजी गर्व का विषय बना लिया था.

पिछले वर्ष, बीजेपी ‘चित्रकूट’ से उपचुनाव हार गई थी, और इस बार इसने हर चुनाव क्षेत्र में 40 महारथी प्रचारकों को लेकर एक बड़ा अभियान चलाने का निश्चय किया था.

चौहान ने उनचुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह, ऊर्जा मंत्री पारस जैन, शिक्षा मंत्री जयभान सिंह, जल स्त्रोत मंत्री नरोतम मिश्रा, राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता और स्वास्थ्य मंत्री रूस्तम सिंह, को जिम्मेदारी दी थी. मुख्यमंत्री स्वंय कई दिनों तक दोनों चुनाव क्षेत्रों में पड़ाव डाल कर, लोगों से कांग्रेस को अस्वीकार करने व मध्य प्रदेश में पिछले 15 सालों के बीजेपी शासन में हुए विकास का समर्थन करने की अपील करते रहे.

इस चुनाव में ‘शाही’ परिवार का दृष्टिकोण भी था. यशोधरा राजे सिंधिया, जो खेल व युवा कल्याण मंत्री हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ भी हैं, ने वोट मांगने के लिए कोलारस में अपनी स्वर्गीय माता और बीजेपी नेता विजयाराजे सिंधिया की विरासत का आह्वान किया.

मिली सूचना के अनुसार उन्होंने मतदाताओं को डराने की कोशिश भी की कि अगर सीट कांग्रेस को मिल जाती है तो उन्हें विकास के फायदों से वंचित रहना पडेगा, जिसके लिए उन्हें चुनाव आयोग से नोटिस भी मिला.

दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य ने, मतदाताओं से अपने पिता माधवराव सिंधिया, जो एक भूतपूर्व कांग्रेस नेता रहे हैं, और उनकी प्रतिबद्धताओं को याद रखने का निवेदन किया.

बड़े पैमाने पर सत्ता विरोधी लहर

सभी बड़े दिग्गजों की मौजूदगी के बावजूद भी बीजेपी की हार ने सभी कैडर व मतदाताओं को एक खराब संदेश दिया है.

बीजेपी द्वारा मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव क्षेत्रों में करवाए गए ताजा सर्वे के अनुसार कम से कम 60 प्रतिशत सीटों पर बड़े पैमाने पर सत्ता विरोधी लहर नजर आ रही है. वर्तमान के विधान सभा सदस्यों को बदलने की जरूरत है और पार्टी ने अपने कुछ लोकसभा सदस्यों को चुनाव में उतारने पर भी विचार किया है.

सूत्रों के अनुसार, राज्य में बढ़ रहे मतभेद का एक कारण चौहान का काम करने का ढंग भी है. फिर भी, मुख्यमंत्री ने विधान सभा सदस्यों को खुश रखा है और उनके समर्थन के चलते, केन्द्रीय नेतृत्व राज्य इकाई का कायापलट करने में हिचकिचा रहा है.

एक वरिष्ठ पार्टी नेता के कहा, ’केन्द्रीय नेतृत्व ने गुजरात में नकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद आनंदीबेन पटेल को हटा दिया, तो मध्य प्रदेश में वे ऐसा क्यों नहीं कर सकते ? वे इतंजार कर रहे हैं व देख रहे हैं जबकि कैडर हतोत्साहित हो रहा है’.

फिर भी, बहुत से लोगों का मानना है कि चौहान अभी भी बहुत शक्तिशाली हैं, और मात्र दो उपचुनाव, विधनसभा चुनावों का फैसला तय नहीं कर सकते.

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