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Thursday, 21 November, 2024
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चीन में तीसरी बार राष्ट्रपति पद संभालेंगे शी जिनपिंग, कहा – ‘दुनिया को चीन की जरूरत है’

माओ को छोड़कर जिनपिंग से पहले देश से सभी राष्ट्रपतियों ने लगभग तीन दशक तक 10 साल के कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त होने के नियम का पालन किया.

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नई दिल्ली: शी जिनपिंग ने रविवार को चीनी राष्ट्रपति के रूप में एक ऐतिहासिक तीसरा कार्यकाल हासिल कर लिया है. शी को रिकॉर्ड तीसरी बार ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना’ का महासचिव चुना गया है. उन्होंने प्रमुख कांग्रेस समिति के एक सप्ताह के लंबे सत्र के बाद यह कार्यकाल हासिल किया है. इसमें शी ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और संस्थापक माओत्से तुंग के बाद से देश के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली नेता के रूप में अपना नियंत्रण मजबूत किया है. स्थानीय मीडिया ने खबरें दी हैं.

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, जिनपिंग को रविवार को आयोजित समिति के पहले पूर्ण सत्र में सीपीसी की 20वीं केंद्रीय समिति का महासचिव चुना गया. जिनपिंग की अध्यक्षता वाले सत्र में सीपीसी केंद्रीय समिति के 203 सदस्यों और 168 वैकल्पिक सदस्यों ने भाग लिया. जिनपिंग को सत्र में सीपीसी केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) का अध्यक्ष भी नामित किया गया.

नए कार्यकाल की शुरुआत से पहले शी जिनपिंग यहां स्थानीय एवं विदेशी मीडिया से मुखातिब हुए. उनके इस कार्यकाल को यहां ‘शी युग’ भी कहा जा रहा है. जिनपिंग ने कहा कि ‘दुनिया को चीन की जरूरत है’ और चीन भी दुनिया के बिना विकसित नहीं हो सकता है.

माओ को छोड़कर जिनपिंग से पहले देश से सभी राष्ट्रपतियों ने लगभग तीन दशक तक 10 साल के कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त होने के नियम का पालन किया. जिनपिंग की तीसरी बार सत्ता में वापसी से यह नियम औपचारिक रूप से समाप्त हो गया. जिनपिंग को पहले 2012 में चुना गया था और उनका 10 साल का कार्यकाल इस साल पूरा हो जाएगा.

पार्टी में नंबर दो समझे जाने वाले प्रधानमंत्री ली क्विंग समेत कई उदारवादी नेता 300 सदस्यीय केंद्रीय समिति में शनिवार को जगह बनाने में नाकाम रहे। सीपीसी के पांच साल में एक बार होने वाले महासम्मेलन (कांग्रेस) में वे समिति में चुने नहीं गए. समिति की रविवार को हुई बैठक में 25 सदस्यीय राजनीतिक ब्यूरो का चयन किया गया.

राजनीतिक ब्यूरो ने सात सदस्यीय स्थायी समिति का चयन किया, जिसने शी जिनपिंग को तीसरे कार्यकाल के लिए महासचिव चुना.

जिनपिंग को अपेक्षा के अनुसार शनिवार को केंद्रीय समिति में चुना गया. इसके बाद उन्हें राजनीतिक ब्यूरो और फिर स्थायी समिति में चुना गया और वह आसानी से महासचिव चुन लिए गए. महासम्मेलन में पार्टी के संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन पारित कर उसकी ‘मूल’ स्थिति को फिर से लागू कर निर्देश दिया गया कि उनके (जिनपिंग के) निर्देशों और सिद्धांतों का पालन करना पार्टी के सभी सदस्यों का ‘दायित्व’ है.

पर्यवेक्षकों ने कहा कि राष्ट्रपति, पार्टी नेता एवं सैन्य प्रमुख के रूप में सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में जिनपिंग के उभरने और माओ के नक्शेकदम पर उनके इस पद पर आजीवन बने रहने की संभावना को चिंता एवं घबराहट के साथ देखा जा रहा है, क्योंकि एक पार्टी वाला देश अब एक नेता वाला देश बन गया है.

यह घटना एक विडम्बना के रूप में देखी जा रही है, क्योंकि 79 वर्षीय हु ने 2012 में 10 साल पहले चिनफिंग को शांति से सत्ता सौंप दी थी. बहरहाल, आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनका स्वास्थ्य खराब है.

इस बीच, नए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक अलग केंद्रीय प्रशासन औपचारिक रूप से मार्च में कार्यभार संभालेगा.

पार्टी के महासम्मेलन में शनिवार को इसके संविधान में संशोधन को भी मंजूरी दी गई, जिससे चीन के नेता के रूप में जिनपिंग का कद और बढ़ सकता है. जिनपिंग ने शनिवार को कहा कि संविधान में संशोधन पार्टी के समग्र नेतृत्व को बनाए रखने और मजबूत करने की स्पष्ट आवश्यकताओं को निर्धारित करता है.

उन्होंने महासम्मेलन के समापन सत्र में कहा, ‘संघर्ष करने की हिम्मत करो, जीतने की हिम्मत करो और कड़ी मेहनत करो। आगे बढ़ते रहने के लिए दृढ़ संकल्पित रहो.’

जिनपिंग ने अमेरिका और पश्चिम में चीन के खिलाफ बढ़ती नकारात्मकता का स्पष्ट जिक्र करते हुए कहा, ‘हमें तेज हवाओं, भीषण लहरों और खतरनाक तूफान का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में नाटकीय बदलाव के बीच, विशेष रूप से ब्लैकमेल करने, रोकने (और) बाधित किए जाने के बाहरी प्रयासों के बीच चीन ने, हमने अपने राष्ट्रीय हितों को पहले रखा है.’

महासम्मेलन में पार्टी की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा केंद्रीय अनुशासन निरीक्षण आयोग (सीसीडीआई) का नया दल भी नियुक्त किया गया, जो सीधे जिनपिंग के अधीन कार्य करता है.

संशोधन संबंधी प्रस्ताव में कहा गया है, ‘नए युग के लिए चीनी विशेषताओं वाले समाजवाद पर जिनपिंग का विचार समकालीन चीन और 21वीं सदी का मार्क्सवाद है तथा इस युग की सर्वश्रेष्ठ चीनी संस्कृति एवं लोकाचार का प्रतीक है.’


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