नई दिल्ली: कार्यकारी प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता नरेंद्र मोदी को इटली, भूटान और श्रीलंका जैसे देशों से बधाई मिल रही है. लोकसभा चुनाव में पार्टी बहुमत के जादुई आंकड़े (272 सीटें) से चूक गई, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 50 प्रतिशत से अधिक सीटें हासिल कीं.
हालांकि, अमेरिका और रूस जैसे वैश्विक मंच पर दिग्गजों ने अभी तक मोदी को आधिकारिक रूप से बधाई नहीं दी है, इस संभावना के साथ कि वे अगले कार्यकाल के लिए सरकार के गठन पर अधिक स्पष्टता की उम्मीद कर रहे हैं.
रूस के साथ युद्ध जारी रखने वाले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने मोदी को बधाई दी और नई दिल्ली और कीव के बीच “निरंतर सहयोग” की कामना की.
भारत, जिसके मॉस्को के साथ मजबूत संबंध हैं, इस महीने के अंत में स्विट्जरलैंड में यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है. हालांकि, भागीदारी का स्तर स्पष्ट नहीं है.
इस बीच, इज़राईल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी मोदी सरकार को बधाई देते हुए कहा, “बधाई हो!”
हालांकि, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चुप रहे, लेकिन देश के विदेश मंत्रालय ने कथित तौर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी को शुभकामनाएं दीं और “स्वस्थ” और “स्थिर” द्विपक्षीय संबंधों का आह्वान किया, ऐसे समय में जब दोनों देश तनावपूर्ण सीमा गतिरोध में उलझे हुए हैं.
ईरान के अंतरिम राष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर ने भी बधाई देते हुए कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत तेहरान का एक प्रमुख भागीदार बन गया है.
भारत का क्वाड पार्टनर जापान भी इस सूची में है, जिसके प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने मोदी को बधाई संदेश देते हुए दोनों देशों के लिए “स्वतंत्र और खुले” इंडो-पैसिफिक को साकार करने की ज़रूरत पर जोर दिया.
इस बीच, वाशिंगटन डीसी स्पष्टीकरण के इंतज़ार में है. अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार रात एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि बाइडन प्रशासन अंतिम चुनाव परिणामों की प्रतीक्षा कर रहा है.
भारत के चुनावों में कथित पश्चिमी प्रभाव के दावों के बारे में पूछे जाने पर, विभाग ने कहा, “हम हमेशा अपने विचार स्पष्ट और खुले तौर पर व्यक्त करेंगे. हम अपनी चिंताओं को विदेशी सरकारों के साथ निजी तौर पर व्यक्त करते हैं और जब हम देखते हैं कि हमारे पास ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में हम चिंतित हैं, तो हम उन्हें सार्वजनिक रूप से भी व्यक्त करते हैं.”
भाजपा, जिसने लोकसभा में 240 सीटें हासिल की हैं – बहुमत के लिए ज़रूरी संख्या से 32 सीट कम – वर्तमान में प्रमुख गठबंधन सहयोगियों, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल (यूनाइटेड) के साथ बातचीत कर रही है.
मोदी को बधाई देने वाले पहले विश्व नेता मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ थे, उसके बाद भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने मंगलवार को एक पोस्ट में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मोदी “भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे”. इटली अब तक एकमात्र जी7 देश है जिसने इस पर अपनी राय दी है.
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘‘लोकसभा चुनाव में जीत पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बधाई. यह निश्चित है कि हम इटली और भारत को जोड़ने वाली दोस्ती को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करेंगे तथा हमारे राष्ट्रों एवं हमारी जनता की भलाई के लिए विभिन्न मुद्दों पर सहयोग करेंगे.’’
Congratulazioni a @narendramodi per la nuova vittoria elettorale e i miei auguri più affettuosi di buon lavoro. Certa che continueremo a lavorare insieme per rafforzare l'amicizia che unisce Italia e India e consolidare la cooperazione sui diversi temi che ci legano, per il… pic.twitter.com/v5XJAqkwOz
— Giorgia Meloni (@GiorgiaMeloni) June 4, 2024
पड़ोसी देश सिंगापुर और नेपाल के नेताओं से भी संदेश आए हैं.
भारत और द्वीपसमूह देश मालदीव के बीच चल रहे कूटनीतिक विवाद के बावजूद, चीन समर्थक नेता राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू ने मोदी को शुभकामनाएं दीं.
एक्स पर उन्होंने पोस्ट किया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा नीत राजग को 2024 के भारतीय आम चुनाव में लगातार तीसरी बार सफलता मिलने पर बधाई. मैं दोनों देशों की साझी समृद्धि और स्थिरता के लिए और साझे हितों को आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्साहित हूं.’’
Congratulations to Prime Minister @narendramodi, and the BJP and BJP-led NDA, on the success in the 2024 Indian General Election, for the third consecutive term.
I look forward to working together to advance our shared interests in pursuit of shared prosperity and stability for…
— Dr Mohamed Muizzu (@MMuizzu) June 4, 2024
मुइज्जू ने पिछले साल ‘इंडिया-आउट’ अभियान चलाकर मालदीव का राष्ट्रपति पद जीता था. इस साल, उनकी सरकार ने देश से भारतीय सैन्य कर्मियों को हटा दिया, जो वहां विमानन प्लेटफार्मों पर तैनात थे और उस समझौते को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया जो भारत को मालदीव के जल में हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की अनुमति देता है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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