नई दिल्ली: इमरान खान पाकिस्तान के पहले वज़ीर-ए-आज़म (प्रधानमंत्री) हैं जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटना पड़ा है. हालांकि अभी तक पाकिस्तान के किसी भी प्रधानमंत्री ने अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है. लेकिन वोटिंग से पहले पूरे देश में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के एक भाषण की चर्चा जोरों पर रही जिसे उन्होंने 1996 में दिया था.
गौरतलब है कि बीते महीनों में इमरान खान ने कई बार भारत की तारीफ की है. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में भी भारत को एक ‘खुद्दार मुल्क‘ बताया था और कहा था कि कोई भी सुपरपॉवर उसे कुछ भी करने को नहीं कह सकता.
हालांकि पाकिस्तान में अटल बिहारी वाजपेयी का 1996 में भारतीय संसद में दिया गया ऐतिहासिक भाषण चर्चा का विषय बना रहा.
इमरान खान पर निशाना साधते हुए पाकिस्तानी नेता मरयम नवाज़ शरीफ ने ट्वीट कर कहा था, ‘जो लोग भारत की इतनी प्रशंसा करते रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि भारत के कई प्रधानमंत्रियों के खिलाफ 27 अविश्वास प्रस्ताव आए हैं, लेकिन किसी ने भी संविधान, लोकतंत्र और नैतिकता के साथ खिलवाड़ नहीं किया. अटल बिहारी वाजपेयी एक वोट से हार गए थे. उन्होंने आप की तरह देश, संविधान और राष्ट्र को बंधक नहीं बनाया.’
جس بھارت کے قصیدے پڑھ رہے ہیں وہاں مختلف وزرائے اعظم کے خلاف عدم اعتماد کی ستائیس تحریکیں آئیں۔ کسی ایک نے بھی آئین، جمہوریت اور اخلاقیات سے یہ کھلواڑ نہی کیا۔ واجپائی ایک ووٹ سے ہارا، گھر چلا گیا — آپ کی طرح ملک، آئین اور قوم کو یرغمال نہیں بنایا !
— Maryam Nawaz Sharif (@MaryamNSharif) April 8, 2022
पाकिस्तान की पत्रकार नायला इनायत ने शनिवार को एक ट्वीट में कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में बहुमत न होने पर इस्तीफे का ऐलान किया था.
हामिद मीर ने भी ट्वीट कर इमरान खान को टैग करते हुए कहा था कि क्या मैं भारत का उदाहरण दे सकता हूं?
Can I also give example of India? @ImranKhanPTI https://t.co/cQiTOdbpkn
— Hamid Mir (@HamidMirPAK) April 9, 2022
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इमरान खान को वाजपेयी का क्यों दिया गया उदाहरण
इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में 342 में से 174 सदस्यों ने उनके खिलाफ वोट डाला.
इमरान खान से पहले 1989 में बेनज़ीर भुट्टो और 2006 में शौकत अज़ीज के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है लेकिन वो असफल रहा था. इमरान पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए अपने पद से हटना पड़ा है.
बता दें कि शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री की रेस में अभी सबसे आगे हैं.
बीते कुछ वक्त में इमरान खान सरकार के कई सहयोगियों ने उनका साथ छोड़ दिया था जिसमें मुतिहिद्दा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान और बलूचिस्तान आवामी पार्टी अहम है. विपक्षी पार्टियों का कहना था कि बहुमत न होने के बावजूद भी इमरान खान प्रधानमंत्री के पद पर बने हुए हैं. इस बीच खान ने देश को संबोधित करते हुए कहा था कि वो आखिरी गेंद तक मैदान में डटे रहेंगे.
इन्हीं वजहों से पाकिस्तान के लोग और विपक्षी दल खान को भारत के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का ऐतिहासिक भाषण याद दिला रहे थे और कह रहे थे कि उन्हें उनसे कुछ सीखना चाहिए.
1996 में दिए भाषण में वाजपेयी ने कहा था, ‘आप सारा देश चलाना चाहते हैं, बहुत अच्छी बात है. हमारी शुभकामना आपके साथ है. हम अपने देश की सेवा के कार्य में जुटे रहेंगे. हम संख्याबल के सामने सिर झुकाते हैं और आपको विश्वास दिलाते हैं कि जो कार्य हमने अपने हाथ में लिया है वो राष्ट्र उद्देश्य को जब तक पूरा नहीं कर लेंगे, तब तक आराम से नहीं बैठेंगे. अध्यक्ष महोदय, मैं अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति महोदय को सौंपने जा रहा हूं.’
कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने भी ट्वीट कर कहा था, ‘अगर इमरान खान भारत से तुलना करते हैं तो उन्हें पता होना चाहिए कि बहुमत न होने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी ने इस्तीफा दे दिया था.’
If Imran khan is comparing with india then he should know that Atal Bihari Vajpayee had resigned because he didn’t have majority by one vote. Rajiv gandhi had single largest party in 1989 but didn’t stake claim to form govt. @ImranKhanPTI @BBhuttoZardari @MaryamNSharif
— Rajeev Shukla (@ShuklaRajiv) April 9, 2022
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