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Monday, 6 May, 2024
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WHO ने कहा- COVID का डेल्टा वेरियंट संक्रमितों की संख्या को और बढ़ाएगा

डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को जारी अपने कोविड-19 साप्ताहिक महामारी विज्ञान संबंधी अपडेट में कहा कि डेल्टा स्वरूप के कारण कोविड-19 के मामले बढ़ने की जानकारी डब्ल्यूएचओ के अंतर्गत आने वाले सभी क्षेत्रों से सामने आई है.

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संयुक्त राष्ट्र/ जिनेवा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आगाह किया है कि कोविड-19 के डेल्टा स्वरूप के साथ जोड़कर देखी जा रही अधिक संक्रामकता से मामले काफी हद तक बढ़ने की और स्वास्थ्य प्रणालियों पर अधिक दबाव डालने की आशंका है खासकर टीकाकरण का दायरा अधिक नहीं होने के लिहाज से.

डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को जारी अपने कोविड-19 साप्ताहिक महामारी विज्ञान संबंधी अपडेट में कहा कि डेल्टा स्वरूप के कारण कोविड-19 के मामले बढ़ने की जानकारी डब्ल्यूएचओ के अंतर्गत आने वाले सभी क्षेत्रों से सामने आई है.

मंगलवार 13 जुलाई तक, कम से कम 111 देशों, क्षेत्रों एवं इलाकों ने डेल्टा स्वरूप के मिलने की पुष्टि की है और इसके बढ़ने की आशंका है जो आने वाले महीनों में वैश्विक स्तर पर हावी स्वरूप बन जाएगा.

इसने कहा, ‘डेल्टा स्वरूप के साथ जुड़ी बढ़ी हुई प्रसार क्षमता से मामले काफी हद तक बढ़ने और स्वास्थ्य ढांचों पर अत्यधिक दबाव डालने की आशंका है, खासकर टीका कम लगाए जाने के संदर्भ में.’

दुनिया भर में, अल्फा स्वरूप के 178 देशों, क्षेत्रों या इलाकों में पुष्टि हुई है जबकि बीटा स्वरूप 123 देशों में और गामा स्वरूप 75 देशों में सामने आया है.

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अपडेट मे कहा गया कि डेल्टा स्वरूप की संक्रामक क्षमता अब तक पहचाने गए चिंता वाले अन्य स्वरूपों (वीओसी) की तुलना में कहीं ज्यादा है.

इसमें कहा गया, ‘बढ़ी हुई संक्रामकता का मतलब है कि यह आने वाले महीनों में दुनिया भर में प्रमुख स्वरूप बनने वाला है.’

इसने कहा कि ज्यादा संक्रामक स्वरूपों के सामने आने के साथ ही जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक उपायों (पीएचएसएम) में राहत एवं उनका अनुचित उपयोग और सामाजिक मेल-जोल में वृद्धि तथा कई देशों में टीकाकरण की कम दर कुछ देशों में मामलों में वृद्धि, अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत तथा मौत का कारण बन रही हैं.

अपडेट में कहा गया, ‘इसके अलावा, दुनिया के बड़े हिस्से में, महामारी विज्ञान निगरानी, परीक्षण और जीनोम सीक्वेंसिंग में अंतराल बना हुआ है, और यह समय पर ढंग से वर्तमान और भविष्य के रूपों के प्रभाव की निगरानी और आकलन करने की हमारी क्षमता को सीमित करता है.’

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