जिनेवा (स्विटजरलैंड) : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिना चीनी वाले स्वीटनर एस्पार्टेम संभवत: कैंसर पैदा करने वाले हो सकते हैं लेकिन कोई भी व्यक्ति अपने प्रति किलोग्राम के वजन के हिसाब से इसे रोजाना 40 मिलीग्राम ले तो यह सुरक्षित होगा.
द इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) जॉइंट एक्सपर्ट कमेटी ऑन फूड एडीटाइव्स (जेईसीएफए) एस्पार्टेम पर अपना आकलन जारी किया है. डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में “इंसानों में कैंसर को लेकर “सीमित साक्ष्य” का हवाला देते हुए, कहा कि IARC ने एस्पार्टेम को संभवतः इंसानों के लिए कैंसरकारी के तौर पर वर्गीकृत किया है (IARC समूह 2B) और जेईसीएफए ने इसे रोजाना 40 मिलीग्राम प्रति कोलोग्राम वजन के हिसाब से इस्तेमाल किए जा सकने की बात कही है.
डब्ल्यूएचओ के बयान के मुताबिक, एस्पार्टेम एक आर्टिफिशियल (केमिकल) स्वीटनर है जो कि विभिन्न खाद्य और बेवरेज उत्पादों में इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें डाइट ड्रिंक्स, च्विंगम, जेलेटिन, आईसक्रीम, दुग्ध उत्पाद जैसे कि यॉगर्ट, नाश्ते के अनाज, टूथपेस्ट और कफ ड्रॉप्स और चबाने वाले विटामिन्स जैसी दवाओं में इस्तेमाल होता है.
आईएआरसी मोनोग्राफ कार्यक्रम की डॉ. मैरी शुबाउर-बेरिगन ने एक बयान में कहा, “इंसानों और जानवरों में कैंसर के सीमित साक्ष्य पाए गए, और कैंसर कैसे हो सकता है इस पर सीमित यांत्रिक साक्ष्य मिले हैं, इस बात पर हमारी समझ ज्यादा साफ हो सके इसके लिए और अधिक शोध की जरूरत है कि क्या एस्पार्टेम के सेवन से कैंसरकारी खतरा होता है.”
दोनों निकायों ने एस्पार्टेम के सेवन से जुड़े संभावित कार्सिनोजेनिक खतरे और अन्य स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन करने के लिए स्वतंत्र, लेकिन पूरक (कॉम्पिलिमेंटरी) समीक्षाएं कीं. वैज्ञानिक लिटरेचर की समीक्षा के बाद, दोनों मूल्यांकनों ने इस पर प्रकाश डाला कि कैंसर (और अन्य स्वास्थ्य प्रभावों) के लिए उपलब्ध साक्ष्य की अपनी सीमाएं हैं.
कैंसर पर अनुसंधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी (IARC) ने इंसानों में कैंसर को लेकर सीमित साक्ष्यों के आधार पर एस्पार्टेम को इंसानों (ग्रुप 2B) में कैंसरकारी हो सकने की बात कही, खासतौर से हेपाटोसेलुलर कार्सिनोमा जो की एक प्रकार का लिवर कैंसर होता है. डब्ल्यूएचओ ने प्रेस रिलीज में नोट किया है कि एक्सपेरीमेंटल पशुओं में कैंसर के सीमित सक्ष्य मिले और कैंसर पैदा करने वाले संभावित तंत्र के बारे में भी सीमित सबूत पाए गए.
जेईसीएफए ने कहा कि मूल्यांकन किए गए डेटा ने दर्शाया है कि 0-40 मिलीग्राम प्रति किग्रा वजन वाले के हिसाब से एस्पार्टेम की पहले से निर्धारित स्वीकार्य सीमा को रोजाना के सेवन के लिए बदलने की कोई अहम वजह नहीं है.
डब्ल्यूएचए ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, “लिहाजा कमेटी ने इसकी पुष्टि की है कि यह प्रतिदिन लिमिट में लेने पर सुरक्षित है. उदाहरण के लिए, 200 या 300 मिलीग्राम एस्पार्टेम वाले सॉफ्ट ड्रिंक को 70 किलोग्राम वजन वाला शख्स अगर 9 से 14 केन से ज्यादा लेता है तो यह रोजाना के स्वीकार्य सीमा से ज्यादा होगा, अगर ये माना जाए है कि वह अन्य खाद्य स्रोतों से इसे नहीं लेता हो.”
डब्ल्यूएचओ के पोषण और खाद्य सुरक्षा विभाग के निदेशक डॉ. फ्रांसिस्को ब्रैंका ने कहा कि कैंसर दुनियाभर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है.
फ्रांसिस्को ब्रैंका ने एक बयान में कहा, “कैंसर दुनियाभर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है. हर साल, 6 में से एक शख्स कैंसर से मरता है. विज्ञान इस संख्या और मौतों को कम करने को लेकर कैंसर के संभावित आरंभिक या सहायक फैक्टर्स का आकलन करने के लिए लगातार विस्तार कर रहा है.”
उन्होंने कहा, “एस्पार्टेम के आकलन से यह संकेत मिला है कि, आमतौर पर उपयोग की जाने वाली खुराकों में सुरक्षा कोई बड़ी चिंता का विषय नहीं है, संभावित प्रभावों का वर्णन किया गया है जिसकी अधिक और बेहतर अध्ययन के जरिए जांच करने की जरूरत है.”
एक प्रेस रिलीज में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि आईएआरसी की खतरे की पहचान किसी घटक के विशिष्ट गुणों और नुकसान पहुंचाने की क्षमता, यानी कैंसर की पहचान करके उसकी कैंसर पैदा करने की क्षमता को समझने के लिए पहला मौलिक कदम है.
आईएआरसी वर्गीकरण वैज्ञानिक प्रमाणों की मजबूती को दिखाता है कि क्या कोई घटक मनुष्यों में कैंसर का कारण बन सकता है, लेकिन वह एक्सपोजर लेवल पर कैंसर के बढ़ने के किसी जोखिम को नहीं दर्शाता है.
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