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Saturday, 19 July, 2025
होमविदेशभारत के ऑपरेशन सिंदूर के कुछ हफ्तों बाद, JeM ने बहावलपुर के आतंकी केंद्र में फिर खोला स्विमिंग पूल

भारत के ऑपरेशन सिंदूर के कुछ हफ्तों बाद, JeM ने बहावलपुर के आतंकी केंद्र में फिर खोला स्विमिंग पूल

भारतीय सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह स्विमिंग पूल गरीब बच्चों को आकर्षित करता है, जिन्हें बाद में जैश अपने संगठन में भर्ती करता है. पूल को फिर से खोलना यह भी दिखाता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की ऐसे आतंकी संगठनों को बंद करने की कोई मंशा नहीं है.

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नई दिल्ली: जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर स्थित जामा मस्जिद सुब्हान अल्लाह मदरसे में बने स्विमिंग पूल को फिर से क्लासेस के लिए खोल दिया गया है. यह वही मदरसा है जिसे मई में भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत निशाना बनाया था. यह घोषणा जैश-ए-मोहम्मद ने अपने सोशल मीडिया चैनलों पर की है.

इसका मतलब है कि बहावलपुर स्थित इस मदरसे में पढ़ने वाले लगभग 600 छात्रों की सामान्य गतिविधियां दोबारा शुरू हो गई हैं.

इस परिसर में बना स्विमिंग पूल न केवल छात्रों के लिए है, बल्कि जैश के आतंकी भी कभी-कभी इसका इस्तेमाल करते रहे हैं—खासतौर पर तब, जब वह कश्मीर या अन्य ऑपरेशनल इलाकों में भेजे जाने से पहले बहावलपुर में आदेश का इंतज़ार कर रहे होते हैं.

2019 के पुलवामा हमले में शामिल चार मुख्य आतंकियों—मुहम्मद उमर फारूक, तल्हा रशीद अल्वी, मुहम्मद इस्माइल अल्वी और रशीद बिल्ला ने भी कश्मीर रवाना होने से पहले इसी पूल के पास तस्वीरें खिंचवाई थीं, जो दिप्रिंट के पास मौजूद हैं.

भारतीय सरकारी सूत्रों ने कहा, “हालांकि, स्विमिंग पूल को फिर से खोलना एक छोटी बात लग सकती है, लेकिन यह बहावलपुर क्षेत्र के गरीब बच्चों के लिए बड़ा आकर्षण है और यही बच्चे आगे चलकर जैश की भर्ती का आधार बनते हैं. यह भी साफ संकेत है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का ऐसे आतंकी संगठनों को बंद करने का कोई इरादा नहीं है, भले ही युद्ध जैसी स्थिति क्यों न हो.”

मई में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक चली सैन्य झड़पों के बाद से जैश-ए-मोहम्मद का नेतृत्व काफी खुले तौर पर सामने आने लगा है. जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर अल्वी ने अपने भाषणों की रिकॉर्डिंग तक जारी की हैं, जिनमें वह अयोध्या के राम मंदिर को तबाह करने की धमकी देता दिखाई दे रहा है.

IAF स्ट्राइक के कुछ ही दिनों बाद एक अन्य भाषण में अजहर ने घमंड के साथ बताया कि उसने अपनी मारी गई बड़ी बहन, बहनोई, एक भतीजे और उसकी पत्नी, एक भांजी और पांच बच्चों के जनाज़े के लिए संगठन के संसाधनों का उपयोग किया.

इसके बाद से जैश ने पाकिस्तान में कई रैलियां और कार्यक्रम आयोजित किए हैं, लेकिन मीडिया में बहुत ज़्यादा दिखाई न देने की रणनीति अपनाई है. भारतीय सरकारी सूत्रों के मुताबिक, 9 जून को जैश ने अपने पूरे कैडर को निर्देश दिया कि वह अपने किसी भी कार्यक्रम या गतिविधि का वीडियो न बनाएं, क्योंकि यह ‘धार्मिक कानूनों का उल्लंघन’ है.

जून महीने में जैश ने अब्दुल अइज़ाज़ इसर के लिए जनाज़ा नमाज़ रखवाई. इसर को भड़काऊ भाषणों के लिए जाना जाता था, जिनमें वह ‘ग़ज़वा-ए-हिंद’ यानी भारत के खिलाफ पवित्र युद्ध की बातें करता था. वह गिलगित-बाल्टिस्तान में मरकज़ तालीम (शिक्षा केंद्र) का प्रमुख था और वहां के ऑपरेशनों की जिम्मेदारी संभालता था.

जामा मस्जिद सुब्हान अल्लाह मदरसा को 7 मई को भारतीय सेना द्वारा किए गए सटीक मिसाइल हमले के बाद बंद कर दिया गया था. यह हमला ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के जवाब में जैश के सक्रिय मुख्यालय को नष्ट करना था. उस हमले में कम से कम 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से ज़्यादातर पर्यटक थे.

बहावलपुर मदरसे पर सरकार का नियंत्रण

2019 में पुलवामा हमले के बाद उत्पन्न संकट के दौरान, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गृह मंत्रालय ने घोषणा की थी कि उसने बहावलपुर स्थित मदरसतुल साबिर और जामा मस्जिद सुब्हान अल्लाह वाले परिसर का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है, ताकि उसके संचालन को बेहतर ढंग से प्रबंधित किया जा सके.

मंत्रालय ने कहा था कि यह परिसर छात्रों को कक्षा 6 तक मुफ्त और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा देगा, साथ ही दार्स-ए-निज़ामी जैसे धार्मिक कोर्स भी उपलब्ध कराएगा, जो ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन के समकक्ष माने जाते हैं.

एक पुराने मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बहावलपुर के स्थानीय लोग इस मदरसे को बड़े पैमाने पर दान देते हैं, जिसमें चावल भी शामिल हैं, ताकि वहां रहने वाले छात्र इसका लाभ उठा सकें.

इस घोषणा के बाद अधिकारियों ने जोर देकर कहा था कि इस मदरसे का किसी भी आतंकी संगठन से कोई संबंध नहीं है. अगले ही दिन, बहावलपुर के डिप्टी कमिश्नर शोज़ेब सईद ने पत्रकारों को बताया था कि यह एक “साधारण मदरसा” है, जिसका जैश-ए-मोहम्मद से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा था, “यहां करीब 600 छात्र पढ़ रहे हैं, और इनमें से कोई भी प्रतिबंधित संगठन से जुड़ा नहीं है और न ही किसी आतंकी गतिविधि में शामिल है.”

हालांकि, सच्चाई यह है कि जिस 18 एकड़ ज़मीन पर जामा मस्जिद सुब्हान अल्लाह मदरसा स्थित है, वह 2019 में मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ रशीद अल्वी ने खरीदी थी. इसकी कीमत 15 लाख पाकिस्तानी रुपये यानी उस समय के अनुसार करीब 70-80 लाख भारतीय रुपये बताई गई थी. परिसर में 12,000 छात्रों के लिए हॉस्टल, खेल की सुविधाएं और नमाज़ की जगहें बनाए जाने की योजना थी.

गौरतलब है कि जैश-ए-मोहम्मद भले ही पाकिस्तान में प्रतिबंधित संगठन हो और 1974 में जन्मे अब्दुल रऊफ पर अमेरिका ने प्रतिबंध भी लगाए हों, लेकिन पाकिस्तानी प्रशासन ने उसके खिलाफ कभी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की. वहीं, चीन ने भी कई बार संयुक्त राष्ट्र में अब्दुल रऊफ को आतंकवादी घोषित करने के प्रयासों को विटो कर दिया.

पंजाब के पूर्व कानून मंत्री राणा सनाउल्ला खान ने 2016 में कहा था कि जमात-उद-दावा और जैश-ए-मोहम्मद दोनों को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया गया है और वह अब किसी तरह की गतिविधि नहीं चला सकते, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि इन संगठनों के नेताओं के खिलाफ कोई गैरकानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि उनके पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से संबंध हैं. उन्होंने सवाल उठाया, “आप उस संगठन पर कैसे मुकदमा चला सकते हैं, जिससे खुद सरकार जुड़ी हो?”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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