नई दिल्ली: नेशनल सिटिजन पार्टी यानी एनसीपी के नेता हसनत अब्दुल्ला ने भारत के खिलाफ अपनी बयानबाजी और तेज कर दिया है. उन्होंने धमकी दी है कि अगर बांग्लादेश अस्थिर हुआ, तो वह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों यानी सेवन सिस्टर्स को अलग-थलग करने और वहां के अलगाववादी तत्वों को शरण देने की बात करेंगे.
तेज भारत विरोधी रुख के लिए पहचाने जाने वाले हसनत अब्दुल्ला छात्र नेतृत्व वाली एनसीपी में दक्षिणी क्षेत्र के मुख्य आयोजक हैं. अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा को मिलाकर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को सेवन सिस्टर्स कहा जाता है.
सोमवार को ढाका के सेंट्रल शहीद मीनार पर इंक़िलाब मंचा द्वारा आयोजित सर्वदलीय विरोध रैली में हसनत ने कहा, “अगर बांग्लादेश अस्थिर होता है, तो प्रतिरोध की आग सीमाओं से बाहर तक फैलेगी. जब आप उन लोगों को शरण दे रहे हैं जो हमें अस्थिर करते हैं, तो हम भी सेवन सिस्टर्स के अलगाववादियों को शरण देंगे.”
उन्होंने कहा, “मैं भारत से साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि अगर आप उन ताकतों को शरण देते हैं जो बांग्लादेश की संप्रभुता, संभावनाओं, मतदान अधिकारों और मानवाधिकारों का सम्मान नहीं करतीं, तो बांग्लादेश जवाब देगा.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि बांग्लादेश को अस्थिर करने के प्रयासों के क्षेत्रीय स्तर पर बड़े परिणाम होंगे.
हसनत ने कहा कि आजादी के 54 साल बाद भी बांग्लादेश पर नियंत्रण करने की कोशिशें ‘गिद्धों’ की तरह की जा रही हैं. हालांकि उन्होंने ढाका के मामलों में कथित दखल के लिए नई दिल्ली का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया.
इसी बीच एनसीपी के संयोजक नाहिद इस्लाम ने “भारतीय दखल” के खिलाफ देशभर में विजय दिवस रैलियों का आह्वान किया. विजय दिवस बांग्लादेश की 1971 में पाकिस्तान से आजादी की याद में मनाया जाता है.
सोमवार को नाहिद इस्लाम ने कहा, “कल विजय दिवस पर हम जश्न मनाने के लिए सड़कों पर नहीं उतरेंगे. हम प्रतिरोध के लिए सड़कों पर उतरेंगे. ढाका समेत पूरे बांग्लादेश में हम भारतीय वर्चस्व और बांग्लादेश विरोधी सभी साजिशों के खिलाफ प्रतिरोध रैलियां करेंगे.”
यह रैली इंक़िलाब मंचा द्वारा आयोजित की गई थी, जो जुलाई आंदोलन से जुड़े छात्र नेतृत्व वाले विरोध नेटवर्क से उभरा एक मंच है. यह रैली पिछले हफ्ते शरीफ उस्मान हादी पर हुए कथित जानलेवा हमले के बाद हुई. हादी इस समूह के प्रवक्ता और एक स्वतंत्र संसदीय उम्मीदवार हैं.
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस रैली में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, जमात-ए-इस्लामी, गनो ओधिकार परिषद, एबी पार्टी और इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश सहित विभिन्न वैचारिक धाराओं के प्रतिनिधि शामिल हुए.
नाहिद इस्लाम ने इस हमले को व्यापक राजनीतिक हमले का संकेत बताया. उन्होंने कहा, “उस्मान हादी को गोली लगने के साथ ही जुलाई क्रांति पर हमला किया गया है.”
दो दिन पहले पत्रकारों से बात करते हुए इस्लाम ने आरोप लगाया था कि इस हमले से भारत और अवामी लीग का संबंध हो सकता है, हालांकि उन्होंने इसके समर्थन में कोई सबूत नहीं दिया. उन्होंने दावा किया कि अवामी लीग नई दिल्ली में निर्वासन में काम कर रही है और भारत के समर्थन से बांग्लादेश के प्रशासन, पुलिस, विश्वविद्यालयों और मीडिया में दोबारा प्रभाव स्थापित करने की कोशिश कर रही है.
हादी के परिवार के सदस्यों और विपक्षी नेताओं की मौजूदगी में अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से मुलाकात के बाद इस्लाम ने कहा, “जब तक अवामी लीग के मुद्दे का समाज और राजनीति में पूरी तरह समाधान नहीं होता, तब तक हम में से कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा.”
इसके बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर नई दिल्ली से अपील की कि वह कथित हत्या प्रयास से जुड़े संदिग्धों को भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने से रोके और अगर वे ऐसा करते हैं, तो उनकी गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण सुनिश्चित करे.
इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने रविवार को जवाब देते हुए कहा कि भारत ने कभी भी अपने क्षेत्र का इस्तेमाल बांग्लादेश के मित्रवत लोगों के हितों के खिलाफ गतिविधियों के लिए होने की अनुमति नहीं दी है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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