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Thursday, 19 December, 2024
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रूस के राष्ट्रपति पुतिन भारत पहुंचे, द्विपक्षीय वार्ता शुरू

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भारत और रूस के बीच रक्षा, परमाणु उर्जा, अं​तरिक्ष और अर्थव्यवस्था से जुड़े करीब 20 समझौते होने हैं.

नई दिल्ली: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक के लिए दो दिवसीय यात्रा पर गुरुवार को भारत पहुंचे. शु​क्रवार को मोदी और पुतिन के बीच वार्ता हो रही है. भारत और रूस के बीच रक्षा, परमाणु उर्जा, अं​तरिक्ष और अर्थव्यवस्था से जुड़े करीब 20 समझौते होने हैं. इन सभी समझौतों में एस-400 मिसाइल समझौता सबसे अहम माना जा रहा है.

एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत पहुंचे राष्ट्रपति पुतिन का विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्वागत किया. गुरुवार रात में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आवास पर पुतिन के सम्मान में आयोजित भोज की मेज़बानी की.

गुरुवार को पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा, ‘राष्ट्रपति पुतिन, भारत में आपका स्वागत है. बातचीत को लेकर उत्सुक हूं, इससे भारत-रूस संबंध और प्रगाढ़ होंगे.’

यह भारत-रूस के बीच 19वां वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने लिखा है, ‘रूसी रक्षा कंपनियों के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनज़र मोदी और पुतिन के इसमें द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की समीक्षा करने की उम्मीद है. दोनों नेताओं के ईरानी कच्चे तेल के आयात पर अमेरिकी प्रतिबंधों सहित प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करने की संभावना है.’

‘यात्रा के दौरान जोर एस-400 मिसाइल प्रणाली समझौते पर होगा. क्रेमलिन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा था कि इस यात्रा की खास बात एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति के लिए समझौते पर दस्तखत है और यह करार पांच अरब डॉलर का होगा.

क्या है एस-400 मिसाइल डील

शुक्रवार को भारत और रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के तहत एस-400 वायु प्रतिरक्षा प्रणाली सौदे को अंतिम रूप दिया जा सकता है. एस-400 मिसाइल सिस्टम को नाटो देशों में एसए-21 ग्रोलर के नाम से जाना जाता है. रूस में निर्मित इस मिसाइल सिस्टम का सबसे पहला प्रयोग 2007 में हुआ था.

भारत और रूस के बीच इस मिसाइल सौदे को लेकर 2015 से बातचीत चल रही है. इस मिसाइल सिस्टम की सामरिक क्षमता काफी बेहतर बताई जाती है जिसकी वजह से दुनिया भर में इसकी मांग है. यह एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है. इसके पहले यह समझौता रूस और तुर्की के बीच हो चुका है.

पुतिन के इस दौरे पर अमेरिका भी बारीकी से नज़र रख रहा है. पुतिन के भारत पहुंचने के ठीक पहले अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों को सलाह दी है कि वे रूस से किसी तरह के महत्वपूर्ण खरीद-फरोख्त को आगे नहीं बढ़ाएं. अमेरिका ने यह संकेत भी दिया है कि अगर ऐसा हुआ तो वह प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर सकता है.

रूस सामरिक और रणनीतिक फ्रंट पर भारत का हमेशा से करीबी साझेदार रहा है. भारतीय सेना के पास आइएनएस चक्र, सुपरसोनिक ब्रम्होस क्रूज मिसाइल, मिग और सुखोई लड़ाकू विमान, विक्रमादित्य एयरक्राफ्ट कैरियर, टी-90 टैंक जैसी तमाम चीजें रूस से ही मिली हैं.

हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच हुए समझौते के बाद अमेरिका ने भारत के ईरान से तेल खरीदना बंद करने की बात कही थी. रूस से साझीदारी करने पर प्रतिबंध लगाने की अमेरिका की चेतावनी भी भारत के लिए एक संकेत है. हालांकि, अभी तक इस पर अमेरिका ने खुलकर कुछ नहीं कहा है. देखना यह होगा कि क्या भारत रूस के बीच इस महत्वपूर्ण समझौते के बाद अमेरिका भारत के प्रति क्या रुख अपनाता है.

मिग विमान का तोहफा

रूस ने मिग-21 विमान का उत्पादन 1985 में ही बंद कर दिया था. लेकिन भारत में यह अब भी प्रमुखता से इस्तेमाल होता है. जिस रूस ने भारत को मिग-21 उपलब्ध कराया था, अब उसी ने भारत से ​तीन ​मिग विमान गिफ्ट में मांगा है और भारत ने यह गिफ्ट देना स्वीकार भी कर लिया है.

हालांकि, अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. वायुसेना के सूत्रों का कहना है कि यह विदेश मंत्रालय पर निर्भर करता है क्योंकि यह दो सरकारों के बीच का समझौता है. हालांकि, भारतीय सेना तीन मिग विमान देने को तैयार है.

 

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