नई दिल्ली: पाकिस्तानी मीडिया ने राजनयिक सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि देश में आर्थिक संकट के बीच अमेरिका इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) के साथ एक समझौते पर पाकिस्तान की मदद करने के लिए सहमत हो गया है.
जानकारी के मुताबिक नई शहबाज शरीफ सरकार के तहत देश में आर्थिक संकट के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता जुटाने के मकसद से इस्लामाबाद आईएमएफ के साथ अपनी एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) को रिवाइव करने के लिए वाशिंगटन का समर्थन मांग रहा है.
आईएमएफ का सबसे बड़ा हितधारक होने के नाते, अमेरिका वैश्विक ऋण देने वालों के दैनिक कामकाज पर काफी असर डालता है.
डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने जुलाई 2019 में 39 महीने के 6 बिलियन के ईएफएफ पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन पिछली इमरान खान की सरकार द्वारा प्रतिबद्धताओं को पूरा ना करने की वजह से आईएमएफ ने लगभग 3 बिलियन अमरीकी डॉलर की प्रक्रिया को रोक दिया था.
हाल में, इस्लामाबाद न सिर्फ डील को पुनर्जीवित करने का अनुरोध कर रहा है, बल्कि कार्यक्रम के आकार और अवधि के विस्तार के लिए भी कह रहा है.
डॉन की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने रविवार रात पुष्टि की कि उन्हें अभी तक आईएमएफ से आर्थिक और वित्तीय नीतियों (एमईएफपी) के ज्ञापन का पहला मसौदा नहीं मिला है क्योंकि कुछ मामले अभी भी सुलझे नहीं हैं.
जियो न्यूज ने एक अधिकारी के हवाले से कहा, ‘ढांचे के आधार पर व्यापक समझौते के बिना, कोई भी पाकिस्तान की मदद नहीं कर सकता था.’
कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने की मकसद से फंड देने के लिए तैयार करने के वास्ते, सरकार ने ईंधन सब्सिडी को खत्म करने के लिए सबसे कठिन उपाय अपनाए हैं और ईंधन की कीमतों को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है.
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण इस्लामाबाद एक ‘हताश उधारकर्ता’ बन गया है, आईएमएफ और अधिक फंड देने पर जोर दे रहा है.
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सरकार 27-28 जून तक बजट को नेशनल असेंबली से मंजूरी दिलाने का लक्ष्य लेकर चल रही है.
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